बंध त्रय योग के फायदे

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 1 जुलाई 2011 (14:54 IST)
FILE
बंध त्रय का अर्थ है तीन बंध या त्रिबंधासन। इस योग में तीन महत्वपूर्ण बंध का समावेश है इसलिए इसे बंध त्रय कहते हैं। ये तीनों बंध हैं- उड्डीयान, जालंधर और मूलबंध। इन तीनों बंधों को एक साथ लगाकर अभ्यास किया जाता है।

अभ्यास की विधि- किसी भी सुखासन में बैठकर श्वास को बाहर निकालकर फेंफड़ों को खालीकर दें। अब श्‍वास अंदर लेते हुए घुटने पर रखें हाथों पर जोर देकर मूलबंध करें अर्थात गुदा को ऊपर की ओर खींचते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें।

फिर श्वास छोड़ते हुए पेट को जितना संभव हो पीठ से पिचकाएं अर्थात उड्डीयान बंघ लगाएं। साथ ही ठोड़ी को कंठ से लगाकर जालंधर बंध भी लगा लें।

सावधानी- उक्त बंध की स्थिति में अपनी क्षमता अनुसार रुकें और फिर कुछ देर आराम करें। इस योग का अभ्यास स्वच्छ व हवायुक्त स्थान पर करना चाहिए। पेट, फेंफड़े, गुदा और गले में किसी भी प्रकार का गंभीर रोग हो तो यह बंध नहीं करें।

इसके लाभ- इससे गले, गुदा, पेशाब, फेंफड़े और पेट संबंधी रोग दूर होते हैं। इसके अभ्यास से दमा, अति अमल्ता, अर्जीण, कब्ज, अपच आदि रोग दूर होते हैं। इससे चेहरे की चमक बढ़ती है। अल्सर कोलाईटिस रोग ठीक होता है और फेफड़े की दूषित वायु निकलने से हृदय की कार्यक्षमता भी बढ़ती है।

चलती गाड़ी में क्यों आती है नींद? जानें इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण

सर्दियों में नाखूनों के रूखेपन से बचें, अपनाएं ये 6 आसान DIY टिप्स

क्या IVF ट्रीटमेंट में नॉर्मल डिलीवरी है संभव या C - सेक्शन ही है विकल्प

कमर पर पेटीकोट के निशान से शुरू होकर कैंसर तक पहुंच सकती है यह समस्या, जानें कारण और बचाव का आसान तरीका

3 से 4 महीने के बच्चे में ये विकास हैं ज़रूरी, इनकी कमी से हो सकती हैं समस्याएं

सेक्स लाइफ को बर्बाद कर सकता है एस्ट्रोजन हार्मोन्स का असंतुलन, जानिए एस्ट्रोजन बैलेंस करने के 5 असरदार उपाय

विंटर्स में शरीर में पानी की कमी से हो सकता है हार्ट अटैक का खतरा: इन 5 चीजों से बचें

World Fisheries Day : विश्व मत्स्य दिवस, जानें 5 खास बातें और 2024 की थीम

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

स्तनपान के दौरान महिलाओं का ब्रा पहनना सही है या नहीं? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

अगला लेख