21 june yoga day theme 2024: 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस, जानें इस बार की थीम क्या है?

WD Feature Desk
मंगलवार, 18 जून 2024 (07:34 IST)
21 june yoga day theme 2024: प्रतिवर्ष 21 जून को विश्‍व योग दिवस मनाया जाता है। योग‍ दिवस मनाए जाने का उद्येश्य योग के महत्व को जानना और उसके माध्यम से स्वस्थ रहना है। योग से निरोगी रहा जा सकता है और साथ ही सभी तरह के मानसिक रोगों से भी बचा जा सकता है। निरंतर प्राणायाम और योग करते रहने से शरीर एकदम लचीला होकर फीट हो जाता है।ALSO READ: टीनएजर्स को रोज करना चाहिए ये 5 योगासन, हारमोंस रहेंगे बैलेंस
 
विश्‍व योग दिवस थीम : इस बार 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 की थीम 'महिला सशक्तिकरण के लिए योग' है। यह थीम महिलाओं के समग्र कल्याण में योग की भूमिका पर जोर देती है और साथ ही शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक माध्यमों से उनके सशक्तिकरण पर जोर देकर महिलाओं के जीवन पर योग के परिवर्तनकारी प्रभाव को बढ़ावा देती है। इस थीम के तहत, विश्व भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जो महिलाओं को योग से होने वाले लाभों के बारे में शिक्षित करेंगे और उन्हें इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
 
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। 21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। 21 जून का दुनिया की कई हिस्सों और संस्कृतियों में विशेष महत्व है।
मुख्‍यत: योग 7 प्रकार के होते हैं- 1.हठयोग, 2.राजयोग, 3.कर्मयोग, 4.भक्तियोग, 5.ज्ञानयोग, 6. तंत्रयोग और 7. लययोग।
 
1. हठयोग : षट्कर्म, आसन, मुद्रा, प्राणायम, प्रत्याहार, ध्यान और समाधि- ये हठयोग के सात अंग है, लेकिन हठयोगी का जोर आसन एवं कुंडलिनी जागृति के लिए आसन, बंध, मुद्रा और प्राणायम पर अधिक रहता है। यही क्रिया योग है।
 
2. राजयोग : यम, नियम, आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि यह पतंजलि के राजयोग के आठ अंग हैं। इन्हें अष्टांग योग भी कहा जाता है।ALSO READ: शरीर को रबर की तरह लचीला बना देंगे ये 7 योगासन, जानें ज़रूरी सुझाव
 
3. कर्मयोग : कर्म करना ही कर्म योग है। इसका उद्‍येश्य है कर्मों में कुशलता लाना। यही सहज योग है।
 
4. भक्तियोग : श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन- इन नौ अंगों को नवधा भक्ति कहा जाता है। यही भक्तियोग है।
 
5. ज्ञानयोग : साक्षीभाव द्वारा विशुद्ध आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना ही ज्ञान योग है। यही ध्यानयोग है। यही ब्रह्मयोग और यही सांख्ययोग है।
 
6. तंत्रयोग : यह वाममार्ग है जिसमें पुरुष और स्त्री मिलकर इंद्रियों पर संयम रखते हुए योग करते हैं। यही कुंडलिनी योग भी है।
 
7. लययोग :- यम, नियम, स्थूल क्रिया, सूक्ष्म क्रिया, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। उक्त आठ लययोग के अंग है।ALSO READ: दिन भर लेते रहते हैं उबासी? घर पर करें ये 6 सिंपल योगासन, पूरे दिन रहेंगे एनर्जेटिक

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