कपाल सिद्धि योग क्रिया

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
मंगलवार, 2 नवंबर 2010 (13:37 IST)
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योग की आठ सिद्धियों में से एक कपाल सिद्धि योगा का योग में बहुत महत्व माना गया है। मस्तक के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। उक्त स्थान पर लगातार ध्यान धरने से कपाल सिद्धि योग फलित होता है। इस प्रक्रिया को कपाल सिद्धि योग कहते हैं।

विधि : सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथों की हथेलियों को घुटनों पर रखें। अब आँखें बंद कर सिर के चोटी वाले स्थान के नीचे ध्यान करें। गहरी श्वास लेकर छोड़ें और श्वासों को सामान्य कर लें। पाँच से दस मिनट तक ध्यान को ब्रह्मरंध्र पर ही टिका कर रखें।

सावधानी : यह ध्यान क्रिया किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर ही करें। क्रिया करते वक्त मन में किसी भी प्रकार की चिंता ना रखें। चेहरे पर खिंचाव या तनाव ना रखें। रीढ़ सीधी रखें और ध्यान को विचलित ना होने दें।

लाभ : यह सिद्धिदायी क्रिया है। इससे मन निर्भिक तथा दिमाग तेज बनता है। इससे तनावमुक्त होकर मन शांत तथा सुदृढ़ होता है तथा इसका लगातार अभ्यास करने से हृदय और श्वास संबंधी रोग में भी लाभ पाया जा सकता है। योगानुसार ब्रह्मरंध्र की ज्योति में संयम करने से योगी को सिद्धगणों के दर्शन भी होते हैं। यह क्रिया शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास करती है।

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