योग का प्रभाव

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योग का हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। आज से 50 वर्ष पूर्व योग का अध्ययन-अध्यापन ऋषियों तथा महर्षियों का विषय रहा ही माना जाता था, लेकिन योग अब आम लोगों के मानसिक और शारीरिक रोग मिटाने में लाभदाय सिद्ध हो रहा है। स्वस् थ परिवा र, स्वस् थ समा ज त ो स्वस् थ औ र खुशहा ल देश।

योग का नियम से और नियमित अभ्यास करने से सबसे पहले हमारे शरीर स्वस्थ बनता है। शरीर के स्वस्थ रहने से मन और मस्तिष्क भी ऊर्जावान बनते हैं। दोनों के सेहतमंद रहने से ही आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। यह तीनों के स्वास्थ्य तालमेल से ही जीवन में खुशी और सफलता मिलती है।

मान लो यदि हमारा जीवन काल 70-75 वर्ष है तो उसमें से भी शायद 20-25 वर्ष ही हमारे जीवन के कार्यशील वर्ष होंगे। उन कार्यशील वर्षों में भी यदि हम अपने स्वास्थ्य और जीवन की स्थिरता को लेकर चिंतित हैं तो फिर कार्य कब करेंगे। जबकि कर्म से ही जीवन में खुशी और सफलता मिलती है।

हमें एक स्वस्थ व्यक्ति बनना होगा और इसके लिए योगाभ्यास जरूरी है। इसके द्वारा हम स्वस्थ मस्तिष्क व शरीर बनाते हैं। स्वस्थ होने पर ही हम हमारे कर्म की उपलब्धियों का सही उपयोग करते हुए अपने जीवन को स्वर्ग के समान बनाने में सफल ह ो सकत े हैं।

वर्तमान युग : आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।

आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केंद्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिकतर अति-बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनंद लेते हैं जिसका परिणाम संबंधों में तनाव और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।

योग का प्रभाव (effects of yoga) : योगासनों के नियमित अभ्यास से मेरूदंड सुदृढ़ बनता है, जिससे शिराओं और धमनियों को आराम मिलता है। शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं। प्राणायाम द्वारा प्राणवायु शरीर के अणु-अणु तक पहुंच जाती है, जिससे अनावश्यक एवं हानिप्रद द्रव्य नष्ट होते हैं, विषांश निर्वासित होते हैं- जिससे सुखद नींद अपने समय पर अपने-आप आने लगती है। प्राणायाम और ध्यान से मस्तिष्क आम लोगों की अपेक्षा कहीं ज्यादा क्रियाशील और शक्तिशाली बनता है।

योग से जहां शरीर की ऊर्जा जाग्रत होती है वहीं हमारे मस्तिष्क के अंतरिम भाग में छिपी रहस्यमय शक्तियों का उदय होता है। जीवन में सफलता के लिए शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और मस्तिष्क की शक्ति की जरूरत होती है। यह सिर्फ योग से ही मिल सकती है अन्य किसी कसरत से नहीं।

योग करते रहना का प्रभाव यह होता है कि शरीर, मन और ‍मस्तिष्क के ऊर्जावान बनने के साथ ही आपकी सोच बदलती है। सोच के बदलने से आपका जीवन भी बदलने लगता है। योग से सकारात्मक सोच का विकास होता है।

आदत बदलना जरूरी : योग द्वारा सच्चा स्वास्थ्य प्राप्त करना बिलकुल सरल है। अच्छा स्वास्थ्य हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। रोग और शोक तो केवल प्राकृतिक नियमों के उल्लंघन, अज्ञान तथा असावधानी के कारण होते हैं। खुशी और स्वास्थ्य के नियम बिलकुल सरल तथा सहज हैं। केवल अपनी कुछ गलत आदतों को बदलकर योग को अपनी आदत बनाएं।

योग है तो सुयोग है योग नहीं तो कुयोग है।-( www.webdunia.co m डेस् क)

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