योग की अष्टसिद्धियाँ....

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योग में अनेकों सिद्धियों की चर्चा की गई हैं। यदि नियमित और अनुशासनबद्ध रहकर योग की साधना की जाए तो अनेकों प्रकार की परा और अपरा सिद्धियाँ पाई जा सकती है। यहाँ प्रस्तुत है अष्टसिद्धियों का संक्षिप्त परिचय।

अणिमा : निरंतर योग साधना करने पर योगी के मन में अनुभव होता है कि वह अणु के समान अत्यंत छोटा बन गया है। ऐसे ही अनुभव बार-बार मन में हो तो उसे अणिमा सिद्धि प्राप्त हो जाती है।

महिमा : इसमें साधक को अनुभव होता है कि उसका शरीर या व्यक्तित्व विशाल होकर सभी जगह व्याप्त हो गया है।

लघिमा : लघिमा सिद्धि में साधक स्वयं को फूल के समान अत्यंत हल्का अनुभव करता है।

गरिमा : इस सिद्धि में साधक को अनुभव होता है कि उसका वजन बहुत अधिक बढ़ गया है।

प्राप्ति : इसमें मन में अनुभव होने लगता है कि मैं जो चाहूँ वह प्राप्त कर सकता हूँ। इसके प्राप्त करने की चाह ही समाप्त हो जाती है।

प्रकाम्य : इस सिद्धि में साधक अनुभव करता है कि वह अत्यंत शक्तिशाली बन गया है। अजेय हो गया है।

ईशिता : यह सिद्धि प्राप्त होने पर ऐसा अनुभव होता है कि वह जिसे चाहे अपने आदेश के अनुसार चला सकता है।

वशीकरण : इस सिद्धि के प्राप्त होने पर योगसाधक के मन में अनुभव होने लगता है कि यह पूरा संसार ही मेरे अधीन है।

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