अश्विनी मुद्रा योग

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 17 जून 2011 (14:25 IST)
गुदाद्वारा को बार-बार सिकोड़ने और फैलाने की क्रिया को ही अश्विनी मुद्रा कहते हैं। अश्विनी मुद्रा इतनी आसान है कि इसको करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।
 
विधि : कगासन में बैठकर (टॉयलैट में बैठने जैसी अवस्था) गुदाद्वार को अंदर खिंचकर मूलबंध की स्थिति में कुछ देर तक रहें और फिर ढीला कर दें। पुन: अंदर खिंचकर पुन: छोड़ दें। यह प्रक्रिया यथा संभव अनुसार करते रहें और फिर कुछ देर आरामपूर्वक बैठ जाएं।
 
सावधानी : यदि गुदाद्वार में किसी प्रकार का गंभीर रोग हो तो यह मुद्रा योग शिक्षक की सलाह अनुसार ही करें।
 
लाभ : इस मुद्रा के निंरतर अभ्यास से गुदा के सभी रोग (जैसे बवासीर, अर्श, भगंदर आदि) ठीक हो जाते हैं। शरीर में ताकत बढ़ती है तथा इस मुद्रा को करने से उम्र लंबी होती है। माना जाता है कि इस मुद्रा से कुण्डलिनी का जागरण भी होता है।
Show comments

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं