इस हस्तमुद्रा को करते समय हाथों की आकृति पान (betel leaf) के समान बन जाती है इसीलिए इसे पान मुद्रा कहते हैं।
हस्त मुद्रा बनाने की विधि- दोनों हाथों की तर्जनी अंगुली को अंगूठे से इस तरह मिलाएं की बीच में पान की आकृति बन जाए। बाकी की बची हुई सारी अंगुलियां खुली रहेगी।
इसका लाभ- इस हस्तमुद्रा को करने से कुछ ही समय में सिर का दर्द और आधे सिर का दर्द बिल्कुल दूर हो जाता है।