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कोरोना काल में भारतीय परंपरा के इन 5 नुस्खों को अपनाकर इम्युनिटी पावर बढ़ाएं

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अनिरुद्ध जोशी

कोरोना वायरस सचमुच घातक है, लेकिन इससे संक्रमित हजारों लोग ठीक भी हो गए हैं। यदि आपने लोगों से मिलना-जुलना और भीड़ वाले क्षेत्र में जाना छोड़ दिया है तो सबसे बड़ा बचाव यही है। इसके अलावा भारतीय संस्कृति, परंपरा और आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय और नुस्खे बताए गए हैं जिससे हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है।
 
 
1. उपवास : एक दिन का पूर्ण उपवास या व्रत हमारे भीतर के रोगाणु और विषैले पदार्थ को बाहर निकालकर हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यदि आप वृद्ध नहीं हैं तो आप इस दौरान नारियल पानी लें और एक बाल हरड़ का सेवन करें। बाल हरड़ को खाना नहीं बल्कि चूसना है। यह आपके शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर कर देगी।
 
 
2. प्राणायाम : प्राणायाम से हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। कोराना वायरस सबसे पहले हमारे फेफड़ों को संक्रामित करता है। सांस लेने में तकलीफ होती है। यदि आपके फेफड़ें सक्रिय और मजबूत हैं तो आप इस वायरस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप घर में ही रहकर पूरक अर्थात श्वास अंदर लेने की क्रिया कुंभक अर्थात श्वास को अंदर रोकने की क्रिया और रेचक अर्थात श्‍वास धीरे-धीरे छोड़ने की क्रिया। पूरक, कुंभक और रेचक की आवृत्ति को अच्छे से समझकर प्रतिदिन यह प्राणायाम करने से रोग दूर हो जाते हैं। इसके बाद आप भ्रस्त्रिका, कपालभाती, शीतली, शीतकारी और भ्रामरी प्राणायाम को एड कर लें। यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा।
 
 
3. तुलसी का रस : तुलसी तो अक्सर सभी घरों में लोग रखते ही है। इसके होने के कई फायदे हैं। यह एक ओर जहां सभी तरह के रोगाणु को घर में आने से पहले ही नष्ट कर देती है। वहीं इसके नियमित सेवन से किसी भी प्रकार का गंभीर रोग नहीं होता है। यह भी आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। तुलसी के अलावा आप चाहें तो गिलोय या कड़वा चिरायता का रस भी प्रतिदिन आधा कप पीएं। हालांकि इनका सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए। आवश्यकता अनुसार सप्ताह में दो बार ही सेवन करें या आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें। तुलसी के साथ अदरक, कालीमिर्च, अदरक और शहद को उचित मात्रा में मिलाकर पीने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
 
 
4. सूर्य नमस्कार : आप प्रतिदिन घर में ही सूर्य नमस्कार की 12 स्टेप 12 बार करें इससे आप हर तरह से फीट होकर रोगों से लड़ने के लिए तैयार रहेंगे। कहना चाहिए कि कोई विषाणु आप पर असर नहीं कर पाएगा।
 
 
6. शाकाहार अपनाएं : पूर्ण रूप से शाकाहार जीवनशैली अपनाएं और सूर्यास्त के पूर्व की भोजन कर लें। आयुर्वेदानुसार सूर्यास्त से पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। जैन धर्म में तो इस नियम का सबसे ज्यादा महत्व है। सूर्यास्त के पहले भोजन करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। भोजन को सुबह तक पचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। सूर्यास्त के पहले भोजन करने से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से भी बच जाता है, क्योंकि रात्रि में कई तरह के बैक्टिरिया और अन्य जीव हमारे भोजन से चिपक जाते हैं या उनमें स्वत: ही पैदा होने लगते हैं। रात्रिकाल के शुरु होते ही भोजन में बासीपन और दूषित होने की प्रक्रिया शुरु होने लगती है। उत्तम भोजन ही हमें रोगाणु से लड़ने की सुरक्षा और गारंटी देता है।

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