सम्मोहन को अंग्रेजी में हिप्नोटिज्म कहते हैं। हिप्नोटिज्म दो तरह से होता है पहला खुद को सम्मोहित करना और दूसरा दूसरों को सम्मोहित करना। कई देशों में इस विद्या के माध्यम से मानसिक रोग, हताशा, निराशा और अविश्वास की भावना को दूर किया जाता है। मनोविज्ञान में इसे चिकित्सा की तरह देखा जाता है। आओ जानते हैं कि किस तरह से सेल्फ हिप्नोटिज्म अर्थात आत्म सम्मोहन करने खुद को मानसिक रूप से सुदृढ़ बना सकते हैं।
1. पहली स्टेप : ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक द्वारा आत्म सम्मोहन की शक्ति को जगाया जा सकता है। आप पहले प्रतिदिन 5 मिनट का ध्यान करते वक्त भृकुटी पर फोकस करें या आप चहें तो दीवार पर एक बिंदू बानाकर उसे पांच मिनट तक देखने के बाद आंखें बंद करके उस बिंदू को देखने का प्रयास करें।
कुछ लोग अंगूठे को आंखों की सीध में रखकर तो, कुछ लोग स्पाइरल (सम्मोहन चक्र), कुछ लोग घड़ी के पेंडुलम को हिलाते हुए, कुछ लोग लाल बल्ब को एकटक देखते हुए और कुछ लोग मोमबत्ती को एकटक देखते हुए भी उक्त साधना को करते हैं।
2. दूसरी स्टेप : अब शवासन की मुद्रा में लेटकर खुद के शरीर को पूर्णत: ढीला छोड़ दें और सिर्फ श्वासों के आवागमन पर ही ध्यान दें।
3. तीसरी स्टेप : जब उपरोक्त का अभ्यास हो जाए तब उक्त अवस्था में ही खुद को निर्देश देना प्रारंभ करें। जैसे यदि आपमें आत्मविश्वास की कमी हो तो खुद से कहें कि मुझमें बुहत आत्मविश्वास है। आप जिस भी मानसिक रोग से पीड़ित हैं उस रोग पर ध्यान देकर अपनी मानसिक शक्ति से उसे ठीक कर सकते हैं।
4. चौथी स्टेप : जब उपरोक्त का अभ्यास गहरा जाता है तब आप एक कदम आगे बढ़ें और यह कल्पना करें कि मेरा शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया है और मैं मानसिक रूप से भी मजबूत हो गया हूं।
5. पांचवीं स्टेप : अब आप यह कल्पना करें कि मेरे पास इतनी शक्ति एकत्रित हो गई है कि मैं खुद के साथ ही दूसरे को भी सम्मोहित कर सकता हूं और उनके भी रोग दूर कर सकता हूं।
लाभ : विधिवत रूप से सीखकर लगातार यह करने से आत्म सम्मोहन द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण (टेलीपैथिक), दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है।
योग पैकेज : नियमित सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और योगनिंद्रा करते हुए ध्यान करें। ध्यान में विपश्यना और नादब्रह्म का उपयोग करें। प्रत्याहार का पालन करते हुए धारणा को साधने का प्रयास करें। संकल्प के प्रबल होने से धारणा को साधने में आसानी होगी है। संकल्प सधता है अभ्यास के महत्व को समझने से।
चेतावनी: इसके संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए मिलें किसी योग्य योग शिक्षक या सम्मोहनविद से। यह विद्या किसी जानकार की देखरेख में रहकर ही सीखना चाहिए।