Health Benefits of Vajrasana yoga Pose : वज्रासन की तीन स्थितियाँ होती हैं। जब कोई वज्रासन की स्थिति में नहीं बैठ पाता, उसके वैकल्पिक रूप में अर्धवज्रासन है। इस अर्धवज्रासन में टाँगें मोड़कर एड़ियों के ऊपर बैठा जाता है तथा हाथ को घुटनों कर रखा जाता है। इसे कुछ योगाचार वज्रासन ही मानते हैं। दूसरी स्थिति में पैरों की एड़ी-पंजे को दूर कर पुट्ठे फर्श पर टेक दिए जाते हैं, किंतु दोनों घुटने मिले हुए होना चाहिए, इस स्थिति को भी वज्रासन कहा जाता है। तीसरी इसी स्थिति में पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों की हथेलियों को सिर के नीचे एक-दूसरे से क्रास करती हुई कंधे पर रखने को ही हम- सुप्तवज्रासन कहते हैं।
योगासन वज्रासन करने की आसन विधि ( vajrasana ki vidhi aur labh ) : बैठकर दोनों पैर सामने सीधा करें फिर पहले दाहिने हाथ से दाहिने पैर के पंजे को पकड़कर घुटना मोड़ते हुए एड़ी नितंब के नीचे रखे। इसी तरह बाएं पैर के घुटने को मोड़कर नितंबों के नीचे रखें। हाथों की हथेलियों को घुटनों पर रखें। रीड़ की हड्डी़ और गर्दन सीधी रखें। सामने देंखें। इस स्थिति में कम से कम तीन मिनट बैठना चाहिए। फिर साँस छोड़ते हुए पुन: क्रमश: पैरों को सामने सीधाकर आराम की स्थिति में आ जाएं।
वज्रासन के 5 लाभ ( Vajrasana yog posture benefits ) :
1. संस्कृत शब्द वज्र का अर्थ होता है कठोर। वज्र को अंग्रेजी में थंडरबोल्ट या डायमंड कहते हैं। इसे करने से पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती है। पैर वज्र के समान हो जाते हैं।
2. यह एक मात्र आसन है जिसे भोजन करने के तुरंत बाद भी किया जा सकता है। इससे भोजन आसानी से पचता है।
3. इससे रीढ़ की हड्डी और कंधे सीधे होते हैं।
4. इससे शरीर में रक्त-संचार समरस होता है और इस प्रकार शिरा के रक्त को धमनी के रक्त में बदलने का रोग नहीं हो पाता।
5. वज्रासन में बैठने से शरीर मजबूत और स्थिर बनता है, इसलिए इसका नाम वज्रासन है।
नोट : वज्रासन को तब तक किया जा सकता है जब तक कि पैरों में किसी प्रकार का दर्द या खींचाव न हो। इस दो से चार बार कर सकते हैं। घुटनों में दर्द होने की स्थिति में यह आसन न करें।