नटराज आसन योग, पैरों के लिए लाभदायक

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' नटराज' शिव के 'तांडव नृत्य' का प्रतीक है। नटराज का यह नृत्य विश्व की पांच महान क्रियाओं का निर्देशक है- सृष्टि, स्थिति, प्रलय, तिरोभाव (अदृश्य, अंतर्हित) और अनुग्रह। शिव की नटराज की मूर्ति में धर्म, शास्त्र और कला का अनूठा संगम है। उनकी इसी नृत्य मुद्रा पर एक आसन का नाम है- नटराज आसन ( नटराजास न) ।

नटर ाज आस न की विधि : सबसे पहले सीधे खड़े हो जाइए। फिर दाएं पैर को पीछे ले जाकर जमीन से ऊपर उठाएं। इसके बाद उसे घुटने से मोड़कर उस पैर के पंजे को दाएं हाथ से पकड़ें।

दाएं हाथ से दाएं पैर को अधिकतम ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें। बाएं हाथ को सामने की ओर ऊपर उठाएं। इस दौरान सिर को ऊपर की ओर उठा कर रखें।

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महज तीस सेकंड के बाद वापस पूर्व स्थिति में आ ज ाएं। फिर इसी क्रिया को दूसरे पैर अर्थात बाएं पैर को प ीछ े ले जाकर जमीन से ऊपर उठाकर करें।

हालांकि यह क्रिया चित्र में दिखाए गई नटराज की मुद्रा से भिन्न है लेकिन यह भी नटर ाज आसन ही है। आप चित्र में दिखाई मुद्रा अनुसार भी कर सकते हैं तांडव नृत्य की ऐसी कई मुद्राएं हैं।

सावधानी : जब कोई आसन करते हैं तो उसका विपरित आसन करना भी जरूरी होता है। नटराज आस न के साथ उत्थित जानू शीर्षासन करना चाहिए।

इस आसन से लाभ : यह आसन स्नायुमण्डल को सुदृढ़ बनाता है। इससे पैरों की मांसपेशियों को व्यायाम मिलता है। इसके नियमित अभ्यास से तंत्रिकाओं में आपसी तालमेल बेहतर होता है। इसके प्रभाव से शारीरिक स्थिरता आती है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।
- anirudh joshi

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