शलभासन

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शलभ एक किट को कहते है और शलभ टिड्डे को भी। इस आसन में शरीर की आकृति कुछ इसी तरह की हो जाती है इसीलिए इसे शलभासन कहते है। य ह लेटक र पे ट क े ब ल कि ए जान े वाल ा आस न हैं।

विधि : इस आसन की गिनती भी पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में की जाती है। पेट के बल लेटकर सबसे पहले ठोड़ी को भूमि पर टिकाएँ। फिर दोनों हाथों को जँघाओं के नीचे दबाएँ। तब श्वास अन्दर लेकर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए समानांतर क्रम में ऊपर उठाएँ। पैरों को और ऊपर उठाने के लिए हाथों की हथेलियों से जँघाओं को दबाएँ।

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वापस आने के लिए धीरे-धीर पैरों को भूमि पर ले आए। फिर हाथों को जँघाओं के नीचे से निकालते हुए मकरासन की स्थिति में लेट जाएँ।

सावधानी : घुटने से पैर नहीं मुड़ना चाहिए। ठोड़ी भूमि पर टिकी रहे। 10 से 30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें। जिन्हें मेरुदण्ड, पैरों या जँघाओं में कोई गंभीर समस्या हो वह योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही यह आसन करें।

इसके लाभ : मेरुदण्ड के नीचे वाले भाग में होने वाले सभी रोगो को दूर करता है। कमर दर्द एवं साइटिका दर्द के लिए विशेष लाभप्रद है।

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