84 महादेव : श्री बड़लेश्वर महादेव(75)

Webdunia
कुबेर के एक मित्र थे, जिनका नाम था मणिभद्र। उनका एक पुत्र था बड़ल, जो अत्यंत रूपवान व बलिष्ठ था। एक बार वह कुबेर के बगीचे में नलिनी नामक सुंदरी के पास गया। वहां पहुंचने पर बड़ल को नलिनी की रक्षा करने वाले रक्षकों ने रोका तो बड़ल ने अपने बल से सभी को मारकर भगा दिया। सभी कुबेर पास पहुंचे जहां मणिभद्र भी बैठा था। उन्होंने बड़ल की पूरी बात बता दी। मणिभद्र ने नलिनी से दुव्यवहार करने के कारण बड़ल को श्राप दिया कि उसका पुत्र नेत्रहीन होकर क्षयरोग से पीडित होगा। श्राप के कारण बड़ल पृथ्वी पर गिर पड़ा। इसके पश्चात मणिभद्र बड़ल के पास आए और उससे कहा कि मेरा श्राप खाली नहीं जाएगा।

अब तुम अंवतिका नगरी में स्वर्गद्वारेश्वर के दक्षिण में स्थित शिवलिंग के दर्शन करो। दर्शन मात्र से तुम्हारा उद्धार होगा। मणिभद्र पुत्र बड़ल को लेकर अवंतिका नगरी में आए और यहां बड़ल ने शिवलिंग के दर्शन किए तथा उनके स्पर्श करने से उसका क्षय रोग दूर हो गया और वह पूर्व की तरह रूपवान ओर नेत्रों वाला हो गया। बड़ल के यहां दर्शन-पूजन के कारण शिवलिंग बड़लेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो भी मनुष्य बड़लेश्वर महादेव के दर्शन-पूजन करता है वह पृथ्वी पर सभी सुखों को भोग कर मोक्ष को प्राप्त करता है। इनका मंदिर भैरवगढ़ में सिद्धवट के सामने है। 

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

दुनिया में कितने मुस्लिम इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं?

ज्येष्ठ माह के 4 खास उपाय और उनके फायदे

नास्त्रेदमस ने हिंदू धर्म के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?

भारत ने 7 जून तक नहीं किया पाकिस्तान का पूरा इलाज तो बढ़ सकती है मुश्‍किलें

क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज इन 4 राशियों के बिगड़ सकते हैं काम, पढ़ें 08 जून का दैनिक राशिफल

08 जून 2025 : आपका जन्मदिन

08 जून 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

बड़ा महादेव जाकर पूजन करने का क्या है महत्व, कौन सा बोलें मंत्र?

मंगल का सिंह राशि में प्रवेश, क्या होगा 12 राशियों का राशिफल