साल 2016 में हुई रोजगार के अवसरों में वृद्धि

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नई दिल्ली। श्रमिकों को बेहतर सुविधा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि के वादे को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने 'मेक इन इंडिया' के माध्यम से जहां औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की पहल की, वहीं 'स्किल इंडिया' के माध्यम से रोजगार दक्षता और 'स्टार्टअप इंडिया' के जरिए नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया। 
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार दूरगामी संरचनागत सुधारों के माध्यम से परिवर्तन के लिए सुधार के दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है और रोजगार का सृजन सरकार की पहली प्राथमिकता है।
 
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का कहना है कि सरकार प्रत्येक श्रमिक की रोजगार सुरक्षा, वेतन सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में साल 2016 में श्रम कानूनों के प्रवर्तन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने के साथ-साथ, मंत्रालय ने कामगारों के गौरव का एहसास एवं उसे स्थापित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा और रोजगार के मार्ग तथा गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रावधानों के माध्यम से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
 
इस दिशा में अधिलाभ भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2015 संसद में पारित हुआ था और 1 जनवरी 2016 को अधिनियम संख्या 6 के रूप में भारत के राजपत्र में प्रकाशित होकर अप्रैल 2014 की पूर्व तिथि से लागू हुआ।
 
अधिलाभ भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2015 अनुच्छेद 2 के अंतर्गत योग्यता की सीमा को 10 हजार रुपए से बढ़ाकर 21 हजार रुपए करने और अनुच्छेद 12 के अंतर्गत गणना की अधिकतम सीमा को 3,500 रुपए से बढ़ाकर 7,000 रुपए करने या सरकार द्वारा निर्धारित अनुसूचित रोजगार के लिए वेतन, इनमें से जो कोई भी अधिक हो, की परिकल्पना करता है।
 
मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016, 11 अगस्त 2016 को राज्यसभा में पास किया गया। इसके तहत मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के अंतर्गत आने वाली महिलाओं के मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने का प्रावधान है। यह अवकाश महिला के 2 बच्चों की जरूरी देखभाल के लिए है। इसके साथ ही किराए की कोख (सरोगेट) वाली माता के लिए 12 सप्ताह का अवकाश, बच्चे को गोद लेने वाली महिला के लिए रोजगार प्रदाता और कामगार की आपसी रजामंदी से घर से काम करने की सुविधा देना आवश्यक है। 
 
कर्मचारी प्रतिपूर्ति अधिनियम 1923 के तहत कर्मचारियों के अधिकारों और दंड को मजबूत करने के लिए 9 अगस्त 2016 को कर्मचारी प्रतिपूर्ति (संशोधित) विधेयक 2016 लोकसभा में पारित किया गया।
 
26 जुलाई 2016 को संसद में बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक 2016 पारित किया गया। यह संशोधन विधेयक 14 साल से कम आयु के बच्चों से मजदूरी कराने को पूर्णतया निषेध बनाता है और इसमें उल्लंघन करने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है। संशोधन विधेयक बच्चे के शिक्षा के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है। हालांकि, बच्चे पढ़ाई के बाद अपने परिवार के, खतरनाक नहीं माने जाने वाले काम में हाथ बंटा सकते हैं।
 
29 जून 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉडल दुकानों और प्रतिष्ठान (रोजगार एवं सेवा शर्तों) का नियमन विधेयक 2016 पर विचार किया। मॉडल विधेयक एक विचारोत्तेजक कानून है और सहकारी संघवाद की भावना को ध्यान में रखकर ही इसे अंतिम रूप दिया जाना है। यह राज्यों को मॉडल विधेयक पर उनकी आवश्यकता के अनुसार बेहतर तालमेल बनाने की आजादी देता है। 
 
यह विधेयक उन दुकानों और प्रतिष्ठानों पर लागू होता है जहां पर दस या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। विधेयक प्रतिष्ठानों को साल के 365 दिन खोलने की आजादी देता है। यदि किसी प्रतिष्ठान में रात में रुकने की व्यवस्था है तो वहीं पर महिलाएं रात में काम कर सकती हैं यह प्रावधान भी इस संशोधित विधेयक में किया गया है।
 
श्रम मंत्रालय के अनुसार, द्वितीय श्रम आयोग ने श्रम कानूनों की 4 से 5 समूह में कार्यात्मक आधार पर संहिताकरण करने की सिफारिश की थी। वर्तमान में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय 43 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिताओं में करने के प्रावधानों पर काम कर रहा है।
 
प्रशासनिक पहल के तहत सरकार ने केंद्र के अंतर्गत सभी क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए न्यूनतम वेतन में 42 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की। कृषि, गैर कृषि, निर्माण आदि सभी क्षेत्रों के लिए यह पहली बार था जब इसमें एकसाथ बढ़ोतरी हुई हो। गैर कृषि क्षेत्र में सी श्रेणी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की मजदूरी को 246 रुपए दैनिक से बढ़ाकर 350 रुपए किया गया। जबकि बी श्रेणी क्षेत्र में 437 रुपए दैनिक और ए श्रेणी क्षेत्र के मजदूरों के लिए इसे 523 रुपए दैनिक किया गया। 
 
राज्य कर्मचारी बीमा के लिए वेतन की अधिकतम सीमा को 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 21 हजार रुपए किया गया। कर्मचारी राज्य बीमा योजना यानी ईएसआई के दायरे को बढ़ाया जा रहा है ताकि पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा के जाल को बढ़ाया जा सके।
 
व्यापार को आसान बनाने के सरकार के वादे के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 30 जून 2014 को प्रतिष्ठानों के लिए भविष्य निधि कोड संख्या आवंटन के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू की।
 
मंत्रालय देश में सार्वजनिक रोजगार सेवाओं में बदलाव और उन्हें मजबूत बनाने के लिए जीवंत मंच की तरह नेशनल कॅरियर सेवा लागू कर रहा रहा है। इसमें लगभग 3.71 करोड़ से ज्यादा उम्मीदवार 14.8 लाख प्रतिष्ठान एनसीपी पोर्टल पर पंजीकृत हैं और ए अब तक 3.25 लाख रिक्तियां भर चुके हैं।
 
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को व्यवसायिक मार्गदर्शन एवं परामर्श सेवाएं तथा कप्प्यूटर कोर्स के प्रशिक्षण के लिए 24 नेशनल कॅरियर सर्विस सेंटर चलाता है। पिछले 2 सालों में लगभग 3.8 लाख अजा/ अजजा उम्मीदवारों को व्यवसायिक मार्गदर्शन व परामर्श प्रदान किया जा चुका है।
 
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वेतन का नगदी रहित लेनदेन संबंधी अभियान को 26 नवंबर को शुरू करने के लगभग 1 महीने के भीतर मंत्रालय के अंतर्गत 30 लाख 40,000 कर्मियों को बैंकिंग पहुंच के दायरे में लाने में कामयाबी मिली है। (भाषा)
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