श्री चित्रगुप्त जी की आरती : पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी

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पूजन - भाईदूज के दिन श्री चित्रगुप्त जी का पंचामृत स्नान, श्रृंगार, हवन, आरती तथा कलम-दवात की पूजा की जाएगी।

अगर घर में उनकी तस्वीर न हो तो चित्रगुप्त जी के प्रतीक एक कलश को स्थापित कर पूजन करें।

दीपक जलाएं तथा सबसे पहले श्री गणेश की पूजा अर्चना करने के बाद भगवान चित्रगुप्त जी को चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, पुष्प व धूप आदि से विधि-विधान से पूजन करें। 
 
इसके बाद ऋतु फल या पंचामृत या सुपारी का भोग लगाएं। अगर आप भी भगवान चित्रगुप्त की कृपा पाना चाहते हैं निम्न मंत्र का जाप करें। आइए जानें चित्रगुप्त की प्रार्थना के लिए कौन-सा मंत्र पढ़ें... 
 
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
 
भगवान चित्रगुप्त के इस मंत्र का जाप अवश्य करें। 
 
'‎ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः' का 108 मंत्र का जाप करना लाभदायी रहता है।
 
श्री चित्रगुप्त जी की आरती
 
श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी।
पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥
 
सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे।
श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥
 
भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला।
शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥
 
अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै।
कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥
 
नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला।
आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥
 
भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे।
मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥
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