श्री चित्रगुप्त जी महाराज की आरती

Webdunia
श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी।
पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥


 
सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे।
श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥
 
भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला।
शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥
 
अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै।
कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥
 
नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला।
आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥
 
भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे।
मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥

 
Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Aaj Ka Rashifal: किसे मिलेगा आज भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल (14 मई 2024)

14 मई 2024 : आपका जन्मदिन

14 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

Budh in mesh : बुध का मेष राशि में गोचर 5 राशियों का सोने जैसा चमकेगा भाग्य

अगला लेख