Aditya L1 Mission : अब सूर्य पर जाएगा भारत का अंतरिक्ष यान, जानिए क्या है मिशन आदित्य L1 मिशन

Webdunia
रविवार, 27 अगस्त 2023 (18:40 IST)
Aditya L1 Mission  :  चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अगले महीने के प्रारंभ में ‘सूर्य मिशन’ की तैयारी की में है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आदित्य एल -1 मिशन (Aditya L1 Mission) से अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता, सूर्य के कोरोना के तापमान, सौर तूफान एवं उत्सर्जन एवं पराबैगनी किरणों के धरती, खासकर ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा।
ALSO READ: Chandrayaan-3 : लैंडर विक्रम की पहली खोज, ChaSTE पेलोड का पहला डेटा आया सामने
आदित्य-एल1 मिशन को 2 सितंबर को भेजे जाने की संभावना है। यह सूर्य के अवलोकन के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा।
 
वैज्ञानिकों का मानना है कि मिशन के तहत विभिन्न प्रकार का डाटा एकत्र किया जाएगा ताकि कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जा सके कि नुकसानदेह सौर पवन एवं तूफान की जानकारी मिलते ही सवधानी का एलर्ट जारी किया जा सके।
 
आदित्य एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण ‘सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’ (एसयूआईटी) को पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है।
 
आईयूसीएए के वैज्ञानिक एवं एसयूआईटी के मुख्य अन्वेषक प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि इसरो का सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जायेगा और सूरज का अध्ययन करेगा।
 
उन्होंने बताया कि सूरज से काफी मात्रा में पराबैंगनी किरणें निकलती है और इस टेलीस्कोप (एसयूआईटी) से 2000-4000 एंगस्ट्रॉम के तरंग दैर्ध्य की पराबैंगनी किरणों का अध्ययन किया जाएगा।
 
त्रिपाठी ने बताया कि इससे पहले दुनिया में इस स्तर की पराबैंगनी किरणों का पहले अध्ययन नहीं किया गया है।
 
आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।
 
यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे।
 
आईयूसीएए के एक अन्य वैज्ञानिक प्रो. एएन रामप्रकाश ने बताया कि आदित्य एल-1 के साथ 7 पेलोड भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। ये पेलोड सूरज की प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और सबसे बाहरी परत का अध्ययन करेंगे। सात में से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे।
 
उन्होंने बताया कि सूरज की ऊपरी सतह पर कुछ विस्फोट होते रहते हैं लेकिन यह कब होंगे और इसके प्रभाव क्या होंगे, इसकी सटीक जानकारी नहीं है...ऐसे में इस टेलीस्कोप का एक उद्देश्य इनका अध्ययन करना भी है।
 
प्रो. रामप्रकाश ने बताया कि इसके लिए हमने एक कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) पर आधारित तत्व विकसित किया है जो इसका डाटा (विस्फोटों का) एकत्र करेगा और उसका मूल्यांकन करेगा।
 
आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा।   Edited By : Sudhir Sharma

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

नोटबंदी, छापा, सिविल वॉर, फिर पेपरलीक, Rahul Gandhi ने बताए 7 डर

सड़क धंसी और 19 जगह गड्‍ढे, जानिए बदसूरत हुए रामपथ की असली कहानी

Rahul Gandhi : मेरे आगे तनते हैं, नरेंद्र मोदी के सामने झुकते हैं, ओम बिरला ने राहुल गांधी के सवाल का दिया जवाब

MP में CM और मंत्रियों के साथ स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष खुद भरेंगे इनकम टैक्स, गौवंश परिवहन व ट्यूबवेल खुला छोड़ने वालों पर होगी कार्रवाई

RBI को 2000 के कितने नोट वापस मिले, कितने अब भी लोगों के पास

सभी देखें

नवीनतम

मणिपुर को लेकर मोदी के बयान पर कांग्रेस ने जताया आश्चर्य, कहा- अभी भी स्थिति सामान्य नहीं

मणिपुर की स्थिति को लेकर संसद में बोले पीएम मोदी, सरकार स्थिति सामान्य करने के लिए निरंतर प्रयासरत

पेपर लीक मामले में राज्यसभा में क्या बोले पीएम मोदी?

हाथरस मामले में जांच रिपोर्ट में खुलासा, चरणों की धूल पाने की होड़ में गई भक्तों की जान

live : CM योगी का बड़ा बयान, हाथरस हादसे की न्यायिक जांच होगी

अगला लेख
More