Parshuram jayanti 2024: भगवान परशुराम के 5 ऐसे रहस्य जो शायद ही आप जानते होंगे

WD Feature Desk
बुधवार, 8 मई 2024 (11:45 IST)
Parashurama Jayanti 2024: वैशाख माह की तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम जी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस बार परशुराम जयंती 10 मई 2024 शुक्रवार को रहेगी। अष्ट चिरंजीवी में से एक भगवान परशुराम श्रीहरि विष्णु के छठवें आवेश अवतार हैं। इनका जन्म समय सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। आओ जानते हैं परशुराम जी के संबंध में 5 ऐसे रहस्य जो शायद आपने नहीं सुने होंगे।
ALSO READ: Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?
1. कैसे पड़ा परशुराम नाम : परशुराम जी का नाम पहले राम था। उनके चार भाई थे- वसुमान, वसुषेण, वसु और विश्वावसु। राम ने शिवजी की खूब तपस्या की तो शिवजी ने उन्हें अजेय होने के लिए एक फरसा दिया था। इसके बाद ही राम का नाम परशुराम हो गया। 
 
2. श्री राम को दिया धनुष : राजा जनक की सभा में जब श्रीराम ने शिवजी का धनुष तोड़ दिया था तो परशुरामजी यह समाचार सुनकर वहां उपस्थित हो गए थे और क्रोध करने लगे थे। उनका लक्ष्मणजी से वाद विवाद हुआ और फिर जब उन्हें पता चला कि प्रभु श्रीराम तो स्वयं विष्णु ही है तो उन्होंने उनके पास का धनुष उन्हें उपहार स्वरूप दे दिया। 
3. श्रीकृष्ण को दिया सुदर्शन चक्र : द्वापर युग में पद्मावत राज्य में वेण्या नदी के तट पर भगवान परशुराम निवास करते थे। जरासंध के आक्रमण के दौरान बलराम और श्रीकृष्ण ने दक्षिण से सहायता हेतु दक्षिण प्रदेश की यात्रा की। दाऊ से विचार-विमर्श कर श्रीकृष्‍ण ने निर्णय लिया कि सबसे पहले परशुरामजी से मिला जाए। कई नदियों और जंगल को पार करने के बाद दोनों परशुरामजी के आश्रम पहुंच गए। आश्रम के प्रदेश द्वार पर भृगुश्रेष्ठ परशुराम और सांदीपनि उनके स्वागत के लिए खड़े थे। दोनों ने श्रीकृष्ण और दाऊ को गले लगा लिया। आश्रम में परशुराम ने सभी को फलाहार खिलाया और सभी के रुकने और विश्राम करने की व्यवस्था की और बाद में उचित समय पर श्रीकृष्‍ण को सुदर्शन की दीक्षा देकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया।
ALSO READ: Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?
4. चारों युग में परशुराम : सतयुग में जब एक बार गणेशजी ने परशुराम को शिव दर्शन से रोक लिया तो, रुष्ट परशुराम ने उन पर परशु प्रहार कर दिया, जिससे गणेश का एक दांत नष्ट हो गया और वे एकदंत कहलाए। त्रेतायुग में जनक, दशरथ आदि राजाओं का उन्होंने समुचित सम्मान किया। सीता स्वयंवर में श्रीराम का अभिनंदन किया। द्वापर में उन्होंने कौरव-सभा में कृष्ण का समर्थन किया और इससे पहले उन्होंने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था। द्वापर में उन्होंने ही असत्य वाचन करने के दंड स्वरूप कर्ण को सारी विद्या विस्मृत हो जाने का श्राप दिया था। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्र विद्या प्रदान की थी। इस तरह परशुराम के अनेक किस्से हैं।
ALSO READ: Parashurama jayanti 2024: भगवान परशुराम जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
5. केरल राज्य बनाया परशुरामजी ने : भगवान परशुराम जी ने यज्ञ करने के लिए बत्तीस हाथ ऊंची सोने वेदी बनवा थी और उसमें सैकड़ों यज्ञ किए थे। बाद में इस बेदी को महर्षि कश्यप ने ले लिया था और परशुराम से पृथ्वी छोड़कर चले जाने के लिए कहा था। तब परशुराम जी ने उनकी बात मान ली और समुद्र को पीछे हटाकर गिरिश्रेष्ठ महेंद्र पर चले गए। मान्यता अनुसार परशुरामजी ने हैययवंशी क्षत्रियों से धरती को जीतकर दान कर दी थी। जब उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं बची तो वे सह्याद्री पर्वत की गुफा में बैठकर वरुणदेव की तपस्या करने लगे। वरुण देवता ने परशुरामजी को दर्शन दिए और कहा कि तुम अपना फरसा समुद्र में फेंको। जहां तक तुम्हारा फरसा समुद्र में जाकर गिरेगा, वहीं तक समुद्र का जल सूखकर पृथ्वी बन जाएगी। वह सब पृथ्वी तुम्हारी ही होगी। परशुरामजी के ऐसा करते पर समुद्र का जल सूख गया और जो भूमि उनको समुद्र में मिली, उसी को वर्तमान में केरल कहते हैं। परशुरामजी ने सर्वप्रथज्ञ इस भूमि पर विष्णु भगवान का मंदिर बनाया। कहते हैं कि वही मंदिर आज भी 'तिरूक्ककर अप्पण' के नाम से प्रसिद्ध है। जिस दिन परशुरामजी ने मंदिर में मूर्ति स्थापित की थी, उस दिन को 'ओणम' का त्योहार मनाया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

Vaikuntha chaturdashi date 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व, क्यों गए थे श्री विष्णु जी वाराणसी?

13 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

13 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Dev uthani ekadasshi 2024: देव उठनी एकादशी का पारण समय क्या है?

अगला लेख