नव संवत्सर गुड़ी पड़वा : कैसा होगा देश के लिए

जानिए, नव संवत्सर की आकाशीय मंत्री परिषद

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
इस संवत्सर का राजा चंद्र है और मंत्री भी चंद्र ही है। शस्येश चौमासी फसलों का अधिपति बुध है। धान्येश शीतकालीन फसलों का अधिपति मंगल, तथा मौसम-वर्षा-जल का स्वामी सूर्य मेघेश है। गुड़-खांड व्यापार के स्वामी रसेश बुध, फलेश स्वामी शनि, धनेश बुध-मंगल एवं दुर्गेश शनि हैं।

सृष्टि संवत् 1936, श्रीकृष्ण जन्म-संवत् 5250, कलि-संवत् 5115, सप्तर्षि-संवत् 5090, श्री जैन महावीर-निर्वाण संवत् 2539-40, श्री बुद्ध-संवत् 2636-38, हिजरी सन् 1435-36, फसली सन् 1421-22, ईस्वी सन् 2014-15।


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आकाशीय मंत्रिमंडल का फल देश को इस प्रकार से मिल सकता है। जब राजा चंद्र हो तो चावल व श्वेत धान्य की फसलें श्रेष्ठ होती हैं। वृक्ष, वनस्पति, जड़ी-बूटियों एवं तिलहन की उपज व वर्षा अच्छी होती है। चंद्र मन का कारक है अत: इसके राजा होने से यौन अपराधों में वृद्धि, रत्न, खनिज में वृद्धि व कानून व्यवस्था कमजोर रहती है।

मंत्री चंद्र हो तो चावल, सफेद वस्तु, वर्षा अधिक होती है व जनता सुख से रहती है।

शस्येश फल- शस्येश बुध होने पर वर्षा अधिक होती है। जनजीवन सामान्य रहता है। बुद्धिजीवी वर्ग अपने कर्तव्य का पालन करते नजर आएंगे। शासक वर्ग से जुड़े लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते नजर आएंगे।

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धान्येश मंगल का फल- यदि मंगल धान्येश हो तो गेहूं, सरसों, मूंग, उड़द आदि दालें, तिलहन एवं मूंगा तथा समुद्री पदार्थ महंगे होते हैं।

मेघेश सूर्य का फल- यदि सूर्य मेघेश हो तो व्यापारियों को अच्छा लाभ मिलता है। मालवाहक व दूधारू पशुओं की खरीद-फरोख्त से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

रसेश शुक्र का फल- यदि शुक्र रसेश हो तो पर्याप्त वर्षा होने से जनता सुखी होगी। शासन वर्ग भी जनता का हित देखते नजर आएंगे। कृषक वर्ग भी फसलें अच्छी होने से सुखी होंगे।

नीरसेश बुध का फल- सभी प्रकार के व्यापार, रंगीन वस्त्र, फैशनेबल वस्त्र, चंदन एवं स्वर्णादि धातु महंगे होते हैं।



फलेश शनि का फल- यदि फलेश शनि हो तो जनता में परस्पर कलह, जंगली पेड़, फूल, जड़ी-बूटियां भारी मात्रा में उपलब्ध हों। दुराचारियों से परेशानी अनुभव हो सकती है। जनसंख्या में वृद्धि होती है। कहीं-कहीं बाढ़ की स्थिति भी बनती है।

धनेश का फल- इस वर्ष धनेश का पद दो ग्रह बुध व मंगल को प्राप्त है। चावल, गेहूं, उत्तम होंगे। दूध, घी, गुड़ के भाव तेज हो सकते हैं। शासक जनता के हित में रहेंगे। कहीं मंगल होने से शरद ऋतु में गुनगुनी धूप पड़ सकती है। समय पर वर्षा न होने पर चावल अनाज में कम प्रगति होगी। फसल कम होती है। प्रादेशिक सरकार जनहित में नहीं रहेगी।

दुर्गेश शनि का फल-सुरक्षा व प्रतिरक्षा का स्वामी होने से लोगों में वैर-भाव बढ़ता है। फसलों की स्थिति खराब होने से कृषक वर्ग लाभान्वित नहीं होते हैं।

आकाशीय परिषद का विचार- राजा व मंत्री दोनों ही पद चन्द्र को प्राप्त होने से अनेक स्थानों पर वर्षा अधिक होती है। बाढ़ व भूकंप से परेशानी होगी, कहीं-कहीं तूफान की स्थिति बनेगी।

राजनीतिक दलों में शक्ति परीक्षण की स्थिति बन सकती है। 14 जुलाई से सितंबर 2014 तक शनि मंगल व तुला राशि पर होने से अप्रत्याशित घटना हो सकती है।

राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए वर्ष ठीक नहीं रहेगा। छत्तीसगढ़, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर एवं बिहार आदि महानगरों में भारी कष्टप्रद वातावरण बनेगा, अतः शासन के लोगों को सावधानी रखना होगी। कहीं समुद्री तूफान से नुकसान भी हो सकता है।

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