राशियाँ, अंक ज्योतिष और भविष्‍य

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- राजेन्द्र मल्ल

अंक ज्योतिष और हस्तरेखा विज्ञान दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। जिस प्रकार आत्मा शरीर के बिना अधूरी है, उसी प्रकार अंक ज्योतिष हस्तरेखा विज्ञान के बिना अधूरा है तथा हस्त रेखा विज्ञान, अंक ज्योतिष के बिना अधूरा है।

आमतौर पर ज्योतिषी हाथ की रेखाओं के अवलोकन मात्र से अथवा अंक विज्ञान की गणना मात्र से ही किसी भी व्यक्ति का भविष्य बता देते हैं, मगर मेरे विचार में हमें दोनों विज्ञानों के गहन अवलोकन पश्चात ही कोई निर्णय देना चाहिए। ज्योतिष से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर हम पाठकों से प्राप्त सामग्री यहाँ दे रहे हैं। ये रचनाएँ लेखकों के अपने अनुभव और विचार हैं। संपादक की इनसे कोई सहमति नहीं है।

आइए देखें, अंक ज्योतिष के आधार पर किसी व्यक्ति का भविष्य किस तरह ज्ञात किया जा सकता है। पहले हम राशियों के क्रम के बारे में जानें।

राशि क्रम संख्य ा
मेष 1
वृष 2
मिथुन 3
कर्क 4
सिंह 5
कन्या 6
तुला 7
वृश्चिक 8
धनु 9

चूँकि 1 से 9 तक के अंक के बाद के अंक ज्योतिष में पुनरावृत्ति होती है,
अतः हम 9 के बाद के वाले अंक को पुनः उसी क्रम में रखेंगे-
मकर 10 = 1+0 = 1
कुंभ 11 = 1+1 = 2
मीन 12 = 1+2 =3
इस प्रकार हम राशि, उनके स्वामी का शुभ सहयोगी अर्थात सहानुभूति अंक प्राप्त कर सकते हैं, जैसे-

राशि क्रम राशियाँ उनके स्वाम ी
1, 8 मेष, वृश्चिक मंगल
2, 7 वृष, तुला शुक्र
3, 6 मिथुन, कन्या बुध
4 कर्क चन्द्र
5 सिंह सूर्य
9, 3 धनु, मीन गुरु
1, 2 मकर, कुंभ शनि

नोट- चन्द्र व सूर्य मात्र एक-एक राशि के ही स्वामी हैं जैसे- कर्क का चन्द्र व सिंह का सूर्य। अतः इन्हें एकराशि स्वामी भी कहा जाता है। शेष को द्विराशि स्वामी कहा जाता है।

यहाँ हमें स्वामी अंकों का ज्ञान होना आवश्यक है। जैसे-

स्वामी अंक
मंगल 9
शुक्र 6
बुध 5

नोट = राहु 4 तथा केतु 7 को हम क्रमशः सूर्य व चन्द्र के अंतर्गत रख सकते हैं।

चन्द्र 2 - केतु 7
सूर्य 1 - राहु 4
गुरु 3
शनि 8

इस प्रकार हम राशि क्रमों के योग से शुभ सहयोगी अंक प्राप्त कर सकते हैं-

राशियाँ क्रम सहयोगी अथवा शुभ अं क
मेष+वृश्चिक 1 + 8 = 9
वृष +तुला 2 + 7 = 9
मिथुन+कन्या 3 + 6 = 9
कर्क 4 = 4
सिंह 5 = 5
धनु+ मीन 9+3 = 12= 1+2 =3
मकर+कुंभ 1+2 = 3

अतः स्पष्ट है कि मेष+वृश्चिक (1+8 = 9 योग) के स्वामी मंगल का अंक 9 है तथा दोनों राशियों के क्रम का योग भी 9 आ रहा है, अतः इस प्रकार दोनों राशि नामों का शुभ अंक 9 हुआ।

स्पष्ट है कि मेष और वृश्चिक में मित्रता का संबंध होगा। ये दोनों मित्र होने के साथ-साथ आपसी विचारों में भी समान होंगे। इन राशियों के व्यक्ति यदि साथ मिलकर कोई व्यवसाय करें तो लाभ होगा।

अतः हम यह भी कह सकते हैं कि मेष+वृश्चिक जिनका स्वामी मंगल है का प्रभाव उनके ऊपर जीवन भर रहेगा और यदि इनका भाग्यांक भी 9 आ रहा है, तो यह इन दोनों के लिए अतिशुभ होगा। इसी प्रकार हम अन्य ग्रहों के बारे में भी जान सकते हैं।

यदि हम शुभ दिन या माह ज्ञात करना चाहें तो यह बिलकुल आसान होगा।

जैसे- मेष+वृश्चिक का स्वामी मंगल हुआ अतः मंगलवार शुभ होगा। उसी प्रकार यदि अंक ज्ञात हो तो भी शुभ दिन ज्ञात किया जा सकता है।

माना किसी व्यक्ति का जन्म 2 फरवरी को हुआ है। अतः 2 अंक का स्वामी चन्द्र हुआ, इसलिए सोमवार शुभ दिन होगा। इसी के साथ ही उस व्यक्ति का फरवरी माह बराबर का भाग्यशाली हुआ, क्योंकि माह के क्रम में फरवरी दूसरे (2) स्थान पर आ रहा है।

यदि एक ही स्वामी वाले दो राशियों, नामों के व्यक्तियों का स्वामी, अंक व शुभांक (मूलांक + भाग्यांक + नामांक + स्तूपांक) एक ही आता है, तो उनकी मित्रता अटल रहेगी। ऐसे पति-पत्नियों के विचारों में भी समानता होगी।

शुभ अंक निकालने की विधि-
सूत्र : शुभांक = (मूलांक +भाग्यांक + नामांक + स्तूपांक)
शुभांक निकालने की तीन पद्धतियाँ हैं।
(1) सैफेरियल पद्धति।
(2) कीरो पद्धति ।
(3) अँगरेजी पद्धति।

हम यहाँ सैफेरियल पद्धति का प्रयोग करेंगे, क्योंकि सटीक परिणाम निकालने हेतु अधिकतर ज्योतिषी इसी पद्धति का प्रयोग करते हैं।

शुभांक निकालने हेतु जन्म तिथि, माह, सन्‌ का ज्ञान आवश्यक है।

उदाहरणार्थ- यहाँ हम किसी अ का शुभांक निकालते हैं। मान लीजिए अ का जन्‍म 11-2-1942 को हुआ। अतः

रमेश का जन्म 11-2-1942 को हुआ था। अतः

मूलांक = 11 = 1 +1 = 2

अतः जन्मतिथि का मूलांक 2 हुआ।

अब भाग्यांक निकालने के लिए जन्मतिथि सहित माह एवं सन्‌ सबको जोड़ लिया जाएगा।

जैसे भाग्यांक = 11.2.1942

1+1+2+1+9+4+2
= 20 = 2+0 = 2

अतः इनका भाग्यांक (2) भी मूलांक (2) के साथ बराबर का भाग्यशाली हुआ।
नामांक निकालने के लिए अँगरेजी वर्णमाला के अक्षरों को क्रमसंख्या दी गई है जो इस प्रकार है-

सैफेरियल पद्धत ि
छ-1, ळ-2, भ-3,घ-4, ङ-5, ख-6, क्ष-7, --8, '-9, व-1,
ण-2, ‍र्‍ ि -3, ष-4, श-5, '-6, ×-7, ऊ-8, इ-9, झ-1, ्-2,
-3, फ-4, उ-5, ठ-6, ए-7, ढ-8 .

सैफेरियल पद्धति से नामांक निकालने के लिए प्रसिद्ध नाम को अँगरेजी अक्षर में लिखा जाएगा।

AMITABH BACHCHA N
1492128 21383815

योग- 27 31
27+31 द58
5+8 द 13 द1+3द4
अतः नामांक द4

अब हम स्तूपांक निकालेंगे। स्तूपांक निकालने के लिए प्रसिद्ध नाम को अँगरेजी में लिखकर उसके अक्षरों की क्रमसंख्या को नामांक निकालने की तरह ही लिखते हैं-

AMITABH BACHCHA N
1492128 21383815

स्तूपांक निकालने के लिए पहले को दूसरे से, दूसरे को तीसरे से, इसी प्रकार हम चौदहवें तक गुणा करते चले जाएँगे और अंतिम अंक छोड़ देंगे। यही क्रम नीचे भी जारी रहेगा। अंत में जो अंक बचेगा वही स्तूपांक होगा।

AMITABH BACHCHA N
1492128 21383815
499227 7236668
99945 456999
9992 22399
999 4469
99 976
9 99

9 स्तूपांक

अब शुभांक ज्ञात करना सरल है।
शुभांक = मूलांक + भाग्यांक + नामांक + स्तूपांक
= 2 + 2 + 4 + 9
= 17
= 1+7 = 8

अतः अमिताभ बच्चन का शुभ अंक आठ (8) आया।

इस प्रकार चलचित्र क्षेत्र में पदार्पण करने वालों के लिए मूलांक 2, 4, 8, 9 उत्तम होता है। अतः उक्त क्षेत्र का शीर्षक इन अंकों से प्रभावित हो रहा हो तो अति शुभ होगा।

संयोगवश अमिताभ बच्चन के साथ ये सभी संलग्न हैं।
जैसे - मूलांक -2, भाग्यांक - 2, नामांक - 4, स्तूपांक - 9 और शुभांक - 8।

यही कारण है कि लगातार 12 फिल्में फ्लॉप देने के बाद 13वीं फिल्म उनकी सुपर हिट हुई। अंक 13 का योग 1+3 = 4 हुआ। अतः 4 अंक ने 13वीं फिल्म 'जंजीर' सुपर हिट कर दी।

आगे हम एक विचित्र पहलू और देखते हैं-

JANZI R
815899
योग 40 = 4
अतः जंजीर फिल्म का योग भी 4 हुआ।

यह फिल्म सन्‌ 1973 में बनी थी अर्थात 1+9+7+3 =20 = 2+0 = 2। इसका मूलांक 2 आ रहा है- जो अमितजी का मूलांक और भाग्यांक नम्बर है।

इस प्रकार हम उपरोक्त विधि से किसी भी व्यक्ति का शुभांक ज्ञात कर सकते हैं। हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि जिस व्यक्ति का शुभांक, तिथि, वार, माह, वर्ष सभी का एक ही अंक आ रहा है, तो वह समय उस व्यक्ति के लिए शुभ ही शुभ होगा।

मूलांक 2 के लिए 1 अशुभ माना गया है, अतः यदि किसी व्यक्ति (या अमितजी जिनका मूलांक -2 है) के लिए यदि तिथि, वार, माह, वर्ष सभी एक से संबंधित हों तो वह समय अमितजी के लिए अशुभ ही अशुभ होगा। यदि किसी व्यक्ति की जन्मतिथि ज्ञात न हो तो उस व्यक्ति के प्रसिद्ध नाम से नामांक निकालकर उसका शुभ अंक ज्ञात किया जा सकता है, परन्तु यह सामान्य फल ही देता है।
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