अमेरिकी पसंद करते हैं भारत को

Webdunia
सोमवार, 28 फ़रवरी 2011 (14:10 IST)
- जुबैर अहमद (वॉशिंगटन)

BBC
हाल में गैलप के एक मतदान में अमरिकियों ने अपने पसंदीदा और गैर-पसंदीदा देशों के बारे में राय दी। सब से पसंदीदा देशों में भारत पाँचवें नंबर पर आया।

बहत्तर प्रतिशत अमरिकियों ने भारत को अपना सबसे प्रिय देश माना। कनाडा, ब्रिटेन जर्मनी और जापान के बाद भारत का नंबर था। दूसरी तरफ पाकिस्तान को 76 प्रतिशत लोगों ने नापसंद किया और इंटरव्यू में शामिल केवल 18 प्रतिशत लोगों ने इसे पसंद किया।

भारत पसंदीदा देशों की सूची में चीन से भी कहीं आगे था, जिसे केवल 47 फीसदी अमरिकियों ने अपना पसंदीदा देश माना।

मैं ब्रिटेन में आठ साल रहा हूँ। चिकेन टिक्का मसाला और भारतीय खान-पान की लोकप्रियता और भारतीय कंपनियों के ब्रिटेन में जबरदस्त निवेश के बावजूद हमें कभी ऐसा नहीं महसूस हुआ कि वहाँ के लोग भारत को बहुत अच्छी नजर से देखते हैं।

अधिकतर लोग यह सोचते थे कि भारत में केवल गरीबी और गंदगी है। उनकी सोच बहुत गलत भी नहीं थी, लेकिन भारत की बढ़ती हुई शक्ति को वह पहचानने से भी इनकार करते थे।

अमेरिका में भारत की काफी इज्जत है और हो भी क्यूँ नहीं। यहाँ के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हों या सॉफ्टवेर कंपनियाँ, यहाँ की राजनीति हो या सामाजिक क्षेत्र, भारतीय काफी कामयाब हैं।

भारत की एक झलक : अमेरिका में भारत की लोकप्रियता की बात चल रही है तो यह बताता चलूँ कि जो अमेरिकी भारत का दौरा नहीं कर सकते उनके लिए केनेडी सेंटर और यहाँ भारतीय दूतावास ने मिलकर भारत की एक झलक दिखाने का आयोजन किया है।

पहली से 20 मार्च तक वॉशिंगटन के केनेडी सेंटर में भारत के प्रसिद्ध गायक, नाटककार, फिल्मी हस्तियाँ और खानसामे अपने देश की संस्कृति और कला को अमरिकियों तक पहुँचाएँगे।

भारतीय राजदूत मीरा शंकर के अनुसार यह पुरे भारत की नुमाइश नहीं है बल्कि भारतीय कला और संस्कृति का एक प्रदर्शन है।

तीन हफ्ते तक चलने वाला यह प्रदर्शन एक मार्च से शुरू हो रहा है, लेकिन कई दिन पहले ही बहुत सारे शो के टिकटें बिक चुके हैं। लेकिन भारत के चाहने वालों को मायूसी नहीं होगी क्यूँकि कई शो मुफ्त दिखाए जा रहे हैं।

भारतीय पूँजी निवेश : भारत और अमेरिका के बीच सम्बंधों में तेजी से घनिष्ठता आ रही है। कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।

एक जमाना था जब (बल्कि कुछ साल पहले तक) भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्री इंग्लैंड और अमेरिका का चक्कर लगाते थे और निवेशकों को अपने राज्यों में निवेश करने के लिए लुभाते थे। अब काया पलटती दिखाई देती है।

अमेरिका के कई राज्य कर्जों में डूबे हुए हैं और कई शहरों का बजट घाटे में चल रहा है। उनमें से कई की निगाहें अब भारत के निवेशकों की ओर जा रही है।

भारतीय कंपनियों ने 2009 तक अमेरिका में 4.5 अरब डॉलर निवेश किया था। लेकिन अगर अप्रत्यक्ष निवेश की बात की जाए तो यह 20 अरब डॉलर से अधिक का है। कई राज्य और शहर भारतीय कंपनियों के अपने यहाँ निवेश के लिए योजनाए बना रहे हैं।

अमेरिकी इस बात की प्रशंसा करते हैं की एसार ग्रुप ने 1.6 अरब डॉलर निवेश करके मिनेसोटा इस्पात उद्योग कंपनी को डूबने से बचाया था जिस के कारण 12 अमेरिकी राज्यों में सात हजार लोगों की नौकरियाँ खत्म होने से बच गईं।

इसी तरह अमरिकियों को मालूम है कि टाटा ग्रुप ने तीन अरब डॉलर की रकम निवेश करके देश भर में 19000 लोगों को नौकरियाँ दी हुई हैं।

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