एक ऐसा बैक्टीरिया जो बनाएगा कंप्यूटर

Webdunia
मंगलवार, 8 मई 2012 (14:26 IST)
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसे चुम्बकीय बैक्टीरिया या जीवाणु की खोज की है जो आगे चल कर कंप्यूटरों और इलेक्ट्रॉनिक्स का आधार बन सकता है।

ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय और जापान के टोक्यों कृषि और तकनीक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक मिल कर एक ऐसे बैक्टीरिया पर शोध कर रहे हैं जो लोहा खाता है। यह बैक्टीरिया लोहे को पचा कर अपने भीतर चुम्बक बना लेता है। यह चुम्बक कुछ उसी तरह के होते हैं जिस तरह के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव के अंदर होते हैं।

वैज्ञानिकों का दावा है कि इस शोध की वजह से ऐसा हो सकता है कि आने वाले दिनों में बहुत तेज गति से चलने वाली हार्ड ड्राईव बनाई जा सकें।

इस शोध के बारे में विज्ञान पत्रिका स्मॉल में विस्तार से छापा गया है। जैसे-जैसे तकनीक प्रगति करती जा रही है और कंप्यूटर छोटे होते जा रहे हैं, अत्यधिक छोटे या बारीक स्तर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाना कठिन होता जा रहा है। अब इस समस्या के हल के लिए वैज्ञानिक प्रकृति का सहारा ले रहे हैं।

चुम्बकीय बैक्टीरिया : इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने जिस बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया है वो तालाबों में पानी की सतह के भातर उन जगहों पर पाया जता है जहां ऑक्सीजन कम होती है। यह बैक्टीरिया पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्रों में कम्पास की दिशा में इस तरह से तैरा करते हैं कि यह ऑक्सीजन के केंद्र खोज सकें।

जब यह बैक्टीरिया लोहा खाते हैं तो इनके सूक्ष्म शरीरों के अंदर का प्रोटीन उस तरह का चुम्बकीय पदार्थ पैदा करता है जो पृथ्वी पर अपनी तरह का सर्वाधिक शक्तिशाली पदार्थ होता है।

वैज्ञानिक इस बात का अध्यन कर रहे हैं कि यह बैक्टीरिया किस तरह से लोहे को पचाता है और किस तरह से उसके बाद चुम्बक को अपने शरीर के भीतर सहेज कर रखता है। वैज्ञानिक इन्ही तरीकों का इस्तेमाल कर के बाहर चुम्बक 'उगाना' चाहते हैं।

लीड्स विश्विद्यालय की डॉ. साराह स्टानीलैंड कहती हैं, 'हम तेजी से परंपरागत इलेक्ट्रॉनिक्स की उन सीमाओं तक पहुंच रहे हैं कंप्यूटर के पुर्जे छोटे और छोटे होते जा रहे हैं। और जिन मशीनों का इस्तेमाल हम इन पुर्जों को बनाने के लिए करते हैं वो बहुत निपुण नहीं हैं,' डॉ. साराह।

डॉ. साराह के अनुसार इस समस्या का जवाब प्रकृति के ही पास है।

जैविक तार : इन बैक्टीरिया के जरिए चुम्बक बनाने के अलावा वैज्ञानिक इन जीते-जागते बैक्टीरिया की मदद से से तार भी बना रहे हैं। इन बैक्टीरिया के शरीर के ऊपर मौजूद झिल्ली की मदद से वैज्ञानिकों ने अति सूक्ष्म नलियां भी बनाई हैं।

भविष्य में इस तरह की नलियां अति सूक्ष्म जैविक तारों को बनाने में मदद देंगी। वैज्ञानिक चाहते हैं कि इन नलियों की मदद से कम्प्यूटरों के भीतर सूचनाओं को ठीक उसी तरह से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सके जिस तरह से मनुष्य की देह के भीतर मौजूद कोशिकाएं करतीं हैं।

टोक्यो विश्वविद्यालय के डॉ. मासायोशी तानाका ने बीबीसी को बताया, 'कंप्यूटर के अलावा इन नलियों या तारों का इस्तेमाल मनुष्य के शरीर पर सर्जरी करने के लिए भी किया जा सकता है।'

अभी मौजूद तार मनुष्य के शरीर के अंदर सर्जरी करने के लिए बहुत बारीक तो हैं, लेकिन वो शरीर में घुलते मिलते नहीं यही सबसे बड़ी समस्या है। डॉ. तानाका के अनुसार जैविक तारों के बनने से यह समस्या समाप्त हो जाएगी।

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