चेन्नई: समुद्र का पानी पीने लायक बनेगा

Webdunia
सोमवार, 2 अगस्त 2010 (15:51 IST)
BBC
चेन्नई में समुद्री पानी से नमक निकाल कर उसे पीने लायक बनाने का एक संयंत्र शनिवार से शुरू हो गया है। इससे भारत के दक्षिणी भाग में तटवर्ती इलाकों में सस्ता पेय जल उपलब्ध हो सकेगा। यह संयंत्र केवल एक डॉलर में एक हजार लीटर पेयजल की आपूर्ति करेगा और यह अन्य भारतीय तटीय शहरों के लिए अनुकरणीय हो सकेगा।

बीबीसी की तमिल सेवा के स्वामीनाथन नटराजन का कहना है कि कंपनी की ओर से कहा गया कि यह संयंत्र पूरे दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा है। ये संयंत्र 10 करोड़ लीटर समुद्री जल को स्वच्छ कर पानी की आपूर्ति करेगा।

जबकि सरकार की ओर से संचालित जल बोर्ड शहर के 70 लाख लोगों को 65 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति करता है।

ऊर्जा की बचत : चेन्नई वाटर डीसैलिनैशन कंपनी के संयुक्त महाप्रबंधक नटराजन गणेशन ने बीबीसी से कहा, 'हम लोग उन्नत रिवर्स ओसमोसिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं और पानी को उच्च दबाव के तहत फिल्टर कर शुद्ध करते हैं। अन्य विलवणीकृत संयंत्रों के विपरीत हम पानी को उबालते नहीं है और इससे भारी मात्रा में ऊर्जा की बचत करते हैं।'

उन्होंने कहा कि संयंत्र में एनर्जी रिकवरिंग टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बिजली की खपत कम होती है और भारत में पेयजल का उत्पादन सबसे कम मूल्य में किया गया है। प्राकृतिक स्रोत जैसे झील से पानी की आपूर्ति की तुलना में यह और सस्ता हो सकता है। झीलों से पानी लाने में ही काफी रकम खर्च हो जाती है।'

संयंत्र प्रतिदिन 23.7 करोड़ लीटर समुद्री पानी का इस्तेमाल करेगा। आरंभिक दौर में पहले उच्च दबाव के जरिए इसकी झिल्ली को खत्म कर पानी में मौजूद ठोस चीजों को हटाया जाएगा।

यह संयंत्र भारतीय कंपनी आईवीआरसीएल और स्पेन की बेफेसा का संयुक्त उपक्रम है और इस पर लगभग 700 करोड़ रुपए की लागत आई है।

चेन्नई मेट्रोपोलिटन वाटर सप्लाई और स्वीरेज बोर्ड अगले 25 वर्षों तक इससे शुद्ध पेयजल खरीदेगा। चेन्नई मेट्रोपोलिटन वाटर सप्लाई और स्वीरेज बोर्ड के प्रबंध निदेशक शिव दास मीणा ने कहा, 'हम लोग उनसे 48.66 रुपए प्रति 1000 लीटर की दर से पानी खरीदेंगे।'

वह कहते हैं, 'पानी से नमक की मात्रा निकाल कर उसे शुद्ध किया गया है। यह शुद्ध जल सरकार के मानकों के अनुरूप है। इसका स्वाद भी सामान्य पानी की तरह है और ये सस्ता भी है।'

चेन्नई दशकों से पानी की कमी से जूझ रहा है। शहर के चारों ओर स्थित झील से पानी की जरूरत को पूरा किया जाता है। लेकिन ये झील उत्तर-पूर्व के अनियमित मानसून पर निर्भर हैं।

औसतन एक साल में 100 सेंटीमीटर वर्षा होती है। वर्ष 2012 तक ऐसी ही क्षमता वाले और विलवणीकृत जल संयंत्र खोलने की उम्मीद की जा रही है।

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