एक दूजे के लिएः एक 'सिप' गहरे प्रेम की

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फिल्मों में प्यार और प्यार पर बनी फिल्में सदाबहार विषय हैं। इसमें भी यदि साऊथ इंडियन तड़का लग जाए तो प्यार अतिशयोक्ति की तमाम सरहदें पार कर जाता है। 1981 में आई फिल्म 'एक दूजे के लिए' ने वाकई इस मामले में सारी हदें पार कर डाली थीं। एक-दूसरे के प्रति मन-प्राण से समर्पित इस युगल की कहानी ने रियल लाइफ में लगभग 'सेम सिचुएशन' से गुजर रहे कई प्रेमी युगलों के लिए जीवन के बाद मिलने का भयानक रास्ता खोल डाला था।

इसी फिल्म से 'लव की इंटेंसिटी' को दर्शाने वाले दो सीन्स को याद करते हैं। एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो चुके सपना और वासु (यानी रति अग्निहोत्री तथा कमल हासन) इस आकर्षण को महसूस तो करते हैं लेकिन जुबानी इसे व्यक्त करने में दोनों की भाषा आड़े आ जाती है। इसका रास्ता निकाला जाता है सांकेतिक भाषा से। दिन में पत्थर पर कपड़े पटककर और रात को बिजली के खटके को बंद-चालू करके इशारों में बातचीत की जाती है। फिर इसके बाद पत्थर पर पटकने के बाद कितने कपड़े फटे और बिजली के कितने खटके टूटे...प्रेम में इसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता।

आकर्षण के गहरे प्यार में तब्दील होने पर अग्निपरीक्षा से गुजरने के लिए वासु और सपना को छल से अलग किया जाता है। सपना की माँ उसके लिए दूसरे रिश्ते की बात करती है और वासु के अस्तित्व को चुनौती देते हुए उसकी तस्वीर जला डालती है। सपना का उस तस्वीर को चाय के प्याले में घोल कर पी जाना इस बात का सबूत हो जाता है कि वह वासु के साथ अपने रिश्ते को 'लाइटली' नहीं ले रही बल्कि 'डायल्यूटली' ले रही है।

बाद में रति ने एक इंटरव्यू में बताया था कि चाय के कप में तस्वीर घोलकर पीने वाला यह सीन एक ही शॉट में फिल्माया गया था... और उस समय यह सोचने का वक्त भी नहीं मिल पाया था कि जले हुए फोटो के वे टुकड़े पेट में जाकर क्या प्रतिक्रिया देंगे।

- विकास राजावत


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