श्वेता पंडित : पंडित घराने का युवा सुर

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' मेरे ब्रदर की दुल्हन' के गीत 'मधुबाला' और 'दो धारी तलवार' से लोकप्रिय हुई गायिका श्वेता पंडित को गायकी विरासत में मिली है। फोक, क्लासिकल, वेस्टर्न से लेकर हिन्दी फिल्मों के गाने तक, वे सब गा सकती हैं और यह किसी रियाजी के ही बस की बात है।

श्वेता के लिए संगीत उनकी जिंदगी है। वे आज भी घंटों रियाज करती हैं। वे कहती भी हैं कि नियमित रियाज के कारण ही मैं तरह-तरह के गाने गा पाती हूं। श्वेता यह भी स्वीकार करती हैं कि अब बहुत कम ही गायक ऐसे हैं, जो नियमित रियाज में विश्वास करते हैं। वे कहती हैं कि आजकल के गायक कुछ मिनट ही गाने की रिहर्सल करते हैं, जबकि पहले गायक रिकॉर्डिंग से घंटों रियाज करते थे। श्वेता बचपन से ही संगीत के माहौल में पली-बढ़ी हैं, यही वजह कि उन्हें रियाज का महत्व पता है।

श्वेता, प्रताप नारायण (पंडित जसराज के बड़े भाई) की पोती और म्युजिक कंपोजर मंधीर पंडित की बेटी हैं। संगीतकार जतिन और ललित रिश्ते में उनके चाचा हैं। कुछ दिनों पहले ही श्वेता ने पंडित जसराजजी के साथ एक धार्मिक संस्कृत एलबम में काम किया है और इसे लेकर वे बहुत खुश हैं। इन दिनों वे एआर रहमान के साथ उनके स्प्रिच्युअल एलबम 'कनेक्शन्स' के लिए काम कर रही हैं।

श्वेता ने अपने करियर की शुरुआत 1991 से बाल गायिका के रूप में इलैयाराजा की 'अंजलि' से की थी। कुछ सालों के अंतराल के बाद उन्होंने तमिल और तेलुगु फिल्मों में पार्श्व गायन प्रारंभ किया। तेलुगु फिल्म 'कोथा बेंगारू लोकम' के गीत 'नीनानी नीवानी' के लिए श्वेता को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका (2009) का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला, लेकिन बॉलीवुड में अच्छी शुरुआत के बाद उन्हें पहचान जरा देर से मिली।

बॉलीवुड में श्वेता ने अपनी शुरुआत 'मोहब्बतें' से की। वे बताती हैं कि उस समय वे महज 12 साल की थीं। 'मोहब्बतें' के लिए श्वेता ने 'पैरों में बंधन हैं', 'चलते चलते', 'सोणी सोणी अँखियों वाले', आँखें खुली हों' गाया था।

करियर की अच्छी शुरुआत के बावजूद श्वेता कभी शीर्ष पर नहीं रहीं। श्वेता कहती हैं कि शीर्ष पर रहना मेरे लिए ज्यादा मायने भी नहीं रखता। अब वे अपने सोलो अलबम पर काम कर रही हैं, लाइव प्रोग्राम दे रही हैं और पार्श्व गायिका के रूप में उनका काम पसंद किया जा रहा है। वे बताती हैं कि मैं इससे ही बहुत खुश हूं।

श्वेता ने 'टेल मी ओ खुदा' का फोक सांग 'मेरा मन', 'यमला पगला दीवाना', 'नील एंड निक्की', 'कभी अलविदा ना कहना' में भी कई गाने गाए हैं। उनकी आवाज में खनक और गाने का अंदाज उन्हें औरों से जुदा करता है। वे कहती भी हैं कि मैं अलग-अलग तरह के गाने गाकर अपनी ऑडियंस को हमेशा सरप्राइज करती हूं।

गाने के साथ श्वेता गाने के बोल भी लिख सकती हैं। 'हिस्स' फिल्म के गाने 'आय गॉट देट पॉइजन' का रीमिक्स वर्शन उन्होंने ही लिखा है। इस गाने को लिखकर वे बहुत खुश हैं। श्वेता कहती हैं कि यदि आप गाना भी खुद लिखते हैं तो उसमें आपका इनवॉल्वमेंट और अधिक बढ़ जाता है।

पिछले कुछ सालों से श्वेता ने बॉलीवुड में यह बदलाव पाया है कि अब कंपोजर और गायकों के बीच की दूरी कम हुई है। अब कंपोजर गायकों को भी अपने हिसाब से गाने की थोड़ी स्वतंत्रता देते हैं, वे उनसे बातचीत भी करते हैं। वे कहती हैं कि अब मैं खुद सिंगर चेंबर से कंपोजर से बातचीत करती हूं।

हाल ही में श्वेता ने शिरीष कुन्दर की फिल्म 'जोकर' के लिए भी सोनू निगम के साथ टाइटल-सांग गाया है और इसके लिए सोनू निगम से उन्हें कॉम्प्लीमेंट भी मिला, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया है।

- विभावरी सरदेसाई


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