निर्देशक के बारे में : बॉबी देओल के बिना समीर कर्णिक ने पहली बार फिल्म बनाई है। 'नन्हे जैसलमेर' (2007), 'हीरोज' (2008), 'वादा रहा... आई प्रॉमिस' (2009) जैसी असफल फिल्में बनाने के बाद पहली बार सफलता का स्वाद 'यमला पगला दीवाना' (2011) के जरिए समीर ने चखा। कहते हैं कि इसके बाद देओल परिवार और समीर के संबंधों में खटास आ गई और 'यमला पगला दीवाना' का सिक्वल चर्चाओं से बाहर हो गया। 'चार दिन की चाँदनी' के जरिए समीर को साबित करना होगा कि 'यमला पगला दीवाना' की सफलता तुक्का नहीं थी।