गुरुमंत्र : ऑलवेज बी पॉजिटिव

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यह कहना काफी आसान है कि जिंदगी में सकारात्मक रहे ं...कई बार परिस्थितियां ऐसी आ जाती हैं कि व्यक्ति स्वयं के बारे में सोचते समय यह विचार जरूर लाता है कि सकारात्मक रहने से आखिर फायदा क्या हुआ? सकारात्मकता के कारण असफलता ही मिली फिर क्यों रहें सकारात्मक? दरअसल सकारात्मकता को परिभाषाओं में बांधा नहीं जा सकता। यह व्यवहार है और व्यवहार स्वयं के प्रति समाज के प्रति और अपने परिवार के प्रति होता है ।

जिंदगी आपकी कई तरह से परीक्षा लेती है इसे यूं समझ सकते हैं कि जीवन के अलग-अलग क्षेत्र के अलग-अलग प्रश्न पत्र होते हैं और हर प्रश्न पत्र आपसे उत्तीर्ण होने की उम्मीद रखता है, कई बार सारे प्रश्न पत्र एक साथ देने होते हैं और शर्त यह रहती है कि सभी को एक साथ हल करना है और पास भी होना है। अगर आप इन परिस्थितियों में सकारात्मकता का दामन पकड़ कर रखेंगे तब यकीन मानिए सभी पेपर्स अच्छे से हल कर सकते हैं। परंतु जहां आप इससे थोड़े भी विचलित हुए तब विपरित परिस्थितियां आप पर हावी हो सकती हैं।

सकारात्मकता से होकर ही सफलता का रास्ता है और यह पहली सीढ़ी है जिस पर चलकर आप आत्मविश्वास जोश और आगे बढने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। अक्सर लोगों के साथ समस्या यह आती है कि वे किसी भी समस्या के स्वरूप को सही तरह से समझ नहीं पाते और पहले ही प्रतिक्रिया दे देते हैं। इससे समस्या ओर भी विकराल रूप धारण कर लेती है।

सकारात्मक सोच के साथ अगर समस्या को पहले समझें और फिर प्रतिक्रिया दें तब काफी कुछ बाद संभल सकती है।
सकारात्मक सोच किसी में एकाएक पैदा नहीं की जा सकती या थोपी नहीं जा सकती। यह मानव के मूल स्वभाव का एक भाग होता है अगर आपने इस मूल स्वभाव को आगे बढ़ाया तब आप सकारात्मकता की और बढ़ सकते हैं और अगर आपने स्वभाव के नकारत्मक तत्व को आगे बढाया तब सकारात्मक सोच से दूर भी हो सकते हैं।

स्वयं में सकारात्मकता लाने के लिए यह करें :
- ऐसे लोगों के बीच रहे जो सकारात्मक सोचते हैं और विपरित परिस्थितियों में भी अपना आपा नहीं खोते बल्कि सहजता के साथ हल ढूंढने का प्रयत्न करते हैं।

- अच्छा साहित्य व ऐसे लोगों की जीवनियां पढ़ें जिन्होंने विपरित परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोया और लगातार मेहनत कर आगे बढ़ते रहे।

- डायरी लिखना आरंभ करें और इस बात को नोट करें कि कब और किन परिस्थितियों में आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आता है या आप अपना आपा ही खो बैठते हैं। इन परिस्थितियों में पारिवारिक से लेकर अन्य परिस्थितियों का भी आंकलन जरुर करें। इसके पश्चात स्वयं को यह समझा लें कि जब भी इस प्रकार की परिस्थतियां आएंगी आप अपने आप पर नियंत्रण रखेंगे।

- बडों का मार्गदर्शन जरूर लेते रहें वे भी सकारात्मक उर्जा से आपको भर देंगे।

- प्रयत्न करें कि हॉबी के रूप में खेल, संगीत या अन्य शौक को जारी रखें यह भी आपको सकारात्मकता की और प्रेरित करेंगे।

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