गुरु-मंत्र : दिल दा मामला है

अनुराग तागड़े

Webdunia
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कई बार हम यह सोचते हैं कि अगर आज से कुछ समय पूर्व हमने दिल की बात सुनी होती तब परिणाम कुछ और होता, पर क्या वाकई में ऐसा होता है? दिल की बात सुने या परिस्थितियों से समझौता करे यह प्रश्न वाकई बड़ा कठिन है और दिल की बात सुनकर 'देखते हैं, देखा जाएगा क्या होता है' वाली मानसिकता कई बार सही भी साबित हो जाती है।

कुछ लोग दिल की ही बात सुनते हैं और हर बार सही साबित होते हैं। उनका मानना है कि परिणाम गलत होने के बाद भी इस बात की संतुष्टि रहती है कि चलो दिल ने जो बोला वही तो किया था। इस अनुसार वे नकारात्मक परिणाम को भी आसानी से झेल जाते हैं। इसकी तुलना में वे व्यक्ति ज्यादा समस्याओं का सामना करते हैं, जो पहले परिस्थितियों से समझौता कर दिल की बात नहीं सुनते और फिर जब असफलता हाथ लगती है तब मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

एक बड़ी ही मार्मिक कहानी है, जो दो दोस्तों के बीच है और दोस्ती को लेकर ही है। युद्ध चलता रहता है और दो युवा सैनिक बड़ी बहादुरी से दुश्मन के सैनिकों को अपनी गोलियों का निशाना बनाते रहते हैं। दोनों में गहरी दोस्ती रहती है और यह दोस्ती केवल सेना में साथ रहने की वजह से नहीं, बल्कि वे दोनों एक ही शहर के रहने वाले होते हैं।

युद्ध दिनोदिन सीमा के पास तक पहुंच रहा था और इन दोनों का जोश भी बढ़ते जा रहा था कि दुश्मन को सबक सिखाने सीमा पार जाएंगे। नो मेन्स लैंड के पास जब सैनिक पहुंचे तब दुश्मनों ने गोलीबारी तेज कर दी। दोनों तरफ से गोलीबारी तेज हो गई। दोनों दोस्तों में से एक थोड़ा आगे निकल गया।

दुश्मन की तेज गोलीबारी में वह स्वयं को बचा नहीं पाया और उसे दो गोलियां लगीं और वह वहीं जमीन पर गिर पड़ा। यह देखकर उसके दोस्त से रहा नहीं गया और उसने अपने वरिष्ठ से आग्रह किया कि क्या वह नो मेन्स लैंड में जाकर अपने साथी की मदद करे। तब वरिष्ठ का कहना था कि जिस प्रकार से गोलियां लगी हैं उससे मैं यह कह सकता हूं कि उसकी मृत्यु हो चुकी है। अगर तुम जाओगे तब काफी खतरा है।

अपनी जान क्यों जोखिम में डाल रहे हो वह मर चुका है। इसके बावजूद वह बोलता है कि मैं तो जाऊंगा। तब वरिष्ठ अधिकारी बोलते हैं कि जाओ पर तुम्हारे भी वापसी की उम्मीद नहीं है। वह गोलियां बरसाते हुए जाता है और अपने दोस्त के निढाल पड़े शरीर को लेकर वापस आ जाता है। आने के बाद वरिष्ठ अधिकारी देखते हैं कि जिसे गोली लगी थी वह मर चुका है।

अधिकारी कहते हैं कि देखो हमने कहा था न यह मर चुका था, तुम फालतू ही अपनी जान जोखिम में डालकर वहां गए। इस बात को लेकर दोस्त ने कहा कि जब मैं वहां पर पहुंचा और इसे देखा तब वह सांसें ले रहा था और उसने यही कहा कि मुझे पता था दोस्त कि तुम मुझे लेने जरूर आओगे।

दोस्तों अगर वह अपने दिल की बात न सुनता तब अपने प्रिय दोस्त को आखिरी सलाम भी नहीं कर पाता। दोस्तों, बात करियर को हो या जॉब की अगर दिल कुछ कह रहा है और आप कुछ और ही कर रहे हैं तब बात गड़बड़ जरूर है। इस कारण जब भी दिल की बात हो तब उस पर गौर जरूर करें।

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