यूजीसी करेगा फैकल्टी रिचार्ज प्रोग्राम में शिक्षकों की भर्ती

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नई दिल्ली। भारतीय विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ‘फैकल्टी रिचार्ज प्रोग्राम’ के तहत प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति कर रही है और इसके तहत पिछले एक वर्ष से दौरान करीब 110 शिक्षकों को नियुक्त कर चुकी है।

आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि देश के काफी संख्या में विश्वविद्यालयों विशेष तौर पर राज्य विश्वविद्यालयों ने काफी समय से शिक्षकों को नियुक्त करने का कार्य तेजी से पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए दक्ष शिक्षकों का चयन करने और इससे जुड़े कई कारण प्रमुख समस्या के रूप में बताए जा रहे हैं।

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हाल के समय में 8 नए आईआईटी, 16 नए केंद्रीय विश्वविद्यालय, पांच भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं शोध संस्थान गठित होने से शिक्षकों की कमी अहम समस्या के रूप में उभरकर सामने आई है।

इस कमी को पूरा करने के लिए आयोग ने ‘फैकल्टी रिचार्ज प्रोग्राम’ शुरू किया है इसके तहत प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति 1 : 2 : 2 के अनुपात में की जा रही है।

आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर 2011 से दिसंबर 2012 के बीच 110 प्रोफसरों, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की गई है। इसमें भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, इंजीनियरिंग, पृथ्वी विज्ञान विषयों में शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थान में शोध के माहौल में तीव्र गिरावट को देखते हुए चिकित्सा और इंजीनियरिंग समेत पूरे विज्ञान संकाय के लिए ‘फैकल्टी रिसर्च प्रोमोशन प्रोग्राम’ कार्यक्रम पेश किया है।

अधिकारी ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पठन-पाठन के साथ शोध का समान महत्व होता है लेकिन भारत में विश्वविद्यालय प्रणाली में शोध को अक्सर नजरंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में शोध के माहौल में तीव्र गिरावट को देखते हुए यूजीसी ने कई पहल की है जिसमें चिकित्सा और इंजीनियरिंग समेत पूरे विज्ञान संकाय के लिए ‘फैकल्टी रिसर्च प्रोमोशन प्रोग्राम’ कार्यक्रम शामिल है।

इस योजना के तहत चुने गए शिक्षकों को शोध के लिए यूजीसी से विकास अनुदान प्राप्त होगा। इस कार्यक्रम में तीन अलग-अलग योजनाओं को शामिल किया गया है। प्रवेश स्तर के शिक्षकों (विश्वविद्यालय शिक्षक) को शुरूआती शोध अनुदान मिलेगा। फिर करियर के मध्य में शिक्षकों को एक बार शोध अनुदान प्राप्त होगा। इसके बाद वरिष्ठ मेधावी शिक्षकों को यूजीसी बीएसआई शिक्षक फेलोशिप दी जाएगी।

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प्रवेश स्तर के शिक्षकों को उनके करियर की शुरुआत में शोध करने के लिए धन दिया जाएगा। कैरियर के मध्य में शिक्षकों को अनुदान देने का मकसद शोध को बढावा देना और शिक्षकों को सहायता पहुंचाना है।

यूजीसी बीएसआई शिक्षक फैलोशिप का मकसद वरिष्ठ, मेधावी एवं स्थापित रिकॉर्ड वाले शिक्षकों को सतत शोध के लिए प्रोत्साहित करना और लम्बी अवधि तक ऐसे वरिष्ठ शिक्षकों के विश्वविद्यालय में मार्गदर्शक की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना है।

इन योजनाओं के लिए अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के लिए तीन लाख रूपये प्रति वर्ष आकस्मिक अनुदान और 30 हजार रूपये की फैलोशिप प्रदान किए जाने की बात कही गई है। उल्लेखनीय है कि शोध के क्षेत्र में भारत कई देशों से पीछे है। 2011-12 में भारत में 16,093 पीएचडी डिग्रियां प्रदान की गईं।

विश्व शोध प्रकाशन में भारत के योगदान में वृद्धि दर्ज की गई है लेकिन वैश्विक स्तर से यह काफी कम है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2002 में भारत में शोध प्रकाशनों की संख्या 26,000 दर्ज की गई थी जो 2007 में बढ़कर 44,000 हो गई। इस अवधि में 2008-09 में चीन में 14,706 पीएचडी डिग्रियां प्रदान की गई थीं, जो 2011.12 में बढ़कर 48,112 हो गई। अमेरिका में यह संख्या 40,024 से बढ़कर 41,464 हो गई।

यूनेस्को के आंकड़ों के मुताबिक, 2002 से 2007 के बीच ब्राजील में शोध प्रकाशन की संख्या 16,000 से बढ़कर 29,000 हो गई जबकि रूस में 31 हजार से बढ़कर 32 हजार, चीन में 62 हजार से बढ़कर 1.94 लाख, ब्रिटेन में 93 हजार से बढ़कर 1.25 लाख , अमेरिका में 3.15 लाख से बढ़कर 3.58 लाख हो गई जबकि जापान में शोध प्रकाशनों की संख्या 2002 के 92 हजार से बढ़कर 2007 में 98 हजार दर्ज की गई। (भाषा)
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