बढ़िया काम कर रहे हैं उपकरण-इसरो

Webdunia
शनिवार, 29 नवंबर 2008 (21:57 IST)
देश का पहला मानवरहित चंद्र अभियान चंद्रयान-प्रथम बढ़िया ढंग से काम कर रहा है और उसके साथ गए मून इम्पैक्ट प्रोब एमआईपी ने अब तक तीन हजार चित्र भेजे हैं।

इसरो और सीआईआई के संयुक्त तत्वावधान में अंतरिक्ष तकनीक पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन प्रदर्शनी और वर्ल्ड अंतरिक्ष बिज के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा इसरो के वैज्ञानिकों ने जीरोफोबिक कैमरा चालू कर दिया है और वह बहुत अच्छी तस्वीरें भेज रहा है।

उन्होंने कहा इसने चन्द्रमा की सतह के भारी गड्डे और पहाड़ों के काफी अच्छे चित्र भेजे हैं। ये तस्वीरें बहुत उपयोगी हैं। हम एक के बाद एक सभी उपकरण चालू कर रहे हैं।

इसरो के दो पेलोड अभी शुरू किए जाने हैं और इन्हें दिसंबर के मध्य में चालू किया जाएगा, क्योंकि हम सूरज के उपयुक्त दिशा में आने का इंतजार कर रहे हैं। अब तक सब ठीक है और हर चीज बढ़िया ढंग से चल रही है।

इसरो के चेन्नई के निकट अंतरिक्ष केन्द्र श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित 1380 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान चंद्रयान-प्रथम के साथ 11 उपकरण भेजे हैं। इनमें पाँच इसरो ने निर्मित किए हैं और छह विदेशी हैं।

नायर ने कहा इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र तिरुवनंतपुरम में निर्मित एमआईपी के तीन उपकरणों ने बढ़िया काम किया है। एमआईपी ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट पहुँचने से पहले 25 मिनट में लगभग 3000 चित्र लिए थे। एमआईपी ने गड्ढों के निकट से चित्र लिए हैं और यह काफी स्पष्ट तस्वीरें हैं। इससे पता चलता है कि एमआईपी ने एकदम सटीक लैंडिंग की हैं।

उन्होंने कहा कि मास स्पक्ट्रोमीटर ने भी बड़े उपयोगी डाटा भेजे हैं। इनकी माप की जाना है और यह काम चल रहा है। इसे पूरा करने में तीन महीने लगेंगे। एल्टीमेटर ने एमआईपी के वास्तविक पथ को जानकारी दी थी।

एमआईपी के निश्चित बिन्दु पर पहुँचने और निर्धारित कार्य करने से इसकी पुष्टि होती है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में अधिकाधिक जानकारियाँ चाहते हैं।

भारत पहला देश है, जिसने अपना उपकरण चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा है, जबकि इससे पहले अन्य देशों के चंद्र अभियान के लक्ष्य अन्य जगहों पर थे।

इसरो के अगले प्रक्षेपण के बारे में नायर ने कहा डब्ल्यूडीएम उपग्रह फ्रेंच कोर से अगले माह के मध्य में प्रक्षेपित किया जाएगा। इसे कोर रवाना कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग से विकसित यह एक व्यावसायिक उपग्रह है।

उन्होंने कहा चंद्रयान-प्रथम के सफल अभियान के साथ ही भारत वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रम में भरोसेमंद और कम लागत वाला साझीदार बनकर उभरा है और देश को इस स्थिति का फायदा उठाना चाहिए। भारत ने प्रक्षेपण करने वाले अन्य देशों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम लागत पर उपग्रह प्रक्षेपित करने का प्रस्ताव किया है।

इसरो का इस वर्ष का बजट चार हजार करोड़ रुपए है, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। इसरो अपने बजट का 60 प्रतिशत भाग भारत के निजी और सार्वजनिक उद्योगों के जरिये खर्च करता है। उन्होंने कहा इसरो की उम्मीदों के अनुरूप यह उद्योग अपनी गुणवत्ता और कार्यक्षमता बनाए हुए हैं।

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