भारत छोड़ो आंदोलन

गाँधी ने कहा था (8 अगस्त 1942 को)

Webdunia
गुरुवार, 9 अगस्त 2007 (12:52 IST)
' अब बीच में समझौता नहीं है। मैं नमक की सुविधाएँ या शराबबंदी लेने नहीं जा रहा हूँ। मैं तो एक ही चीज लेने जा रहा हूँ - आजादी। नहीं देना है तो कत्ल करें।

मैं वह गाँधी नहीं जो बीच में ही कोई चीज लेकर आ जाए। आपको तो मैं एक मंत्र देता हूँ कि करेंगे या मरेंगे। जेल को भूल जाएँ। आप सुबह-शाम यही कहें कि खाता हूँ, पीता हूँ, साँस लेता हूँ, तो गुलामी की जंजीर तोड़ने के लिए।

जो मरना जानते हैं उन्होंने जीने की कला जानी है। आज से तय करें कि आजादी डरपोकों के लिए नहीं। जिनमें मरने की ताकत है, वही जिंदा रह सकते हैं। हम चीटियाँ नहीं। हम हाथी से बड़े हैं, हम शेर हैं।' ( नईदुनिया)
Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

लोकसभा चुनाव के बाद मोहन कैबिनेट का विस्तार!, खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों की छुट्टी तय, कांग्रेस से आए नेता बनेंगे मंत्री

थप्पड़ कांड के बाद वायरल हुआ कन्हैया कुमार का वीडियो, भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप

TMC कार्यकर्ता की हत्या का आरोपी पोर्ट ब्लेयर से गिरफ्तार