मोटापे ने छीनी बच्चों की हँसी

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खिलखिलाती मुस्कुराहट तथा चहकती रहती गुड़िया आज खामोश बैठी हुई हैं। कम उम्र में शरीर में ओबेसिटी या मोटापे की बीमारी ने उसकी हँसी छीन ली है। इस समस्या से पीड़ित रहने के कारण वह शान्त होकर बैठी हुई हैं ।

मोटापे की समस्या से आज विश्व के अधिकांश बच्चे पीड़ित हैं। इससे आगे चल कर बच्चों में बहुत से रोग उभर कर आते हैं । आम तौर पर मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर तथा कोरोनेरी आरटेरी की बीमारी युवा अवस्था में होती हैं।

मोटापे से बच्चों में अधिक तनाव बढ़ जाता हैं तथा आत्मविश्वास कम हो जाता हैं। वे डिप्रेशन से पीड़ित रहते हैं तथा अपने आसपास के लोगो से मिलना जुलना कम कर देते हैं ।

कम उम्र में ऐसी बीमारियाँ क्यों बच्चों में दिखने लगी हैं? चिकित्सकों तथा डाक्टरों का मानना यह हैं कि मोटापा की समस्या जेनेटिक या परिवार के स्वास्थ के उपर निर्भर करता हैं अगर वे मोटे होते हैं तो बच्चे स्वयं मोटे होते हैं । परन्तु हर जगह यह स्थिति एक समान नहीं होती है। बच्चे आजकल अधिक समय तक टेलीविजन के सामने बैठे रहते हैं या पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं। परिणाम यह होता हैं कि बच्चे आलसी तथा सुस्त रहते हैं।

लाइफस्टाइल परिवर्तित होने के कारण बच्चे ज्यादा जंक फूड का सेवन कर रहे हैं तथा अधिक मात्रा में कोलड्रिंक्स ले रहे हैं। मोटापे से शरीर की गतिविधियाँ कम हो जाती हैं। नियमित रूप से एक्सरसाइज़ नहीं करते हैं इससे बच्चों का वजन बढ़ जाता हैं।

इसलिए बच्चों को वजन पर नियंत्रण करने के लिए निसमित रूप से उन्हें डाइट के अनुसार खाना देना चाहिए। नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करना चाहिए सुबह के समय बच्चों को योगा करना चाहिए। बाहर के व्यंजन या स्नैक्स से अधिक बच्चों को घर के भोजन सेवन करना चाहिए जिससे कि शरीर स्वस्थ तथा वजन सामान्य रहता हैं।

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