नेहरू के नाम बापू का पत्र

Webdunia
प्रति,
जवाहरलाल नेहरू
शेगाँव, वर्धा

NDND
धामी के लोगों का मार्गदर्शन करने की बजाए मैंने उन्‍हें तुम्‍हारे पास भेज दिया है। मुझे लगता है कि मेरे हस्‍तक्षेप के बिना ही तुम इस काम को कर लोगे। राज्‍यों को अलग रखने और काँग्रेस की अवहेलना और स्‍टेट कॉन्‍फ्रेंस के विचार पर मैं पहले ही ‘हरिजन’ में लिख चुका हूँ कि कोई स्‍टेट एसोसिएशन या मंडल तुम्‍हारी समिति को संज्ञान में लिए बगैर अपने स्‍तर पर कोई कदम नहीं उठा सकती। यदि तुम मुझसे कहो तो मैं इस दिशा में कोई प्रयास कर सकता हूँ। मैं पहले की ही तरह तुम्‍हें अपने विचारों से अवगत करवाता रहूँगा। मैंने कल ग्‍वालियर के लोगों से कहा कि तुम अपनी समिति बना सकते हो, यदि वह उचित ढ़ंग से कार्य करें।

आखिरकार मैं कश्‍मीर नहीं जा सका। शेख अब्‍दुल्‍ला और उनके साथी मेरे राजकीय अतिथि बनने के विचार से सहमत नहीं होते।
आखिरकार मैं कश्‍मीर नहीं जा सका। शेख अब्‍दुल्‍ला और उनके साथी मेरे राजकीय अतिथि बनने के विचार से सहमत नहीं होते।
अपने पूर्व अनुभवों पर भरोसा करते हुए मैंने राज्‍य के प्रस्‍ताव को शेख अब्‍दुल्‍ला की सहमति लेने के बाद स्‍वीकार किया, परंतु मैंने देखा कि मैं गलती कर रहा था। इसलिए मैंने राज्‍य का आतिथ्‍य स्‍वीकारने की बजाय शेख अब्‍दुल्‍ला का आतिथ्‍य स्‍वीकार किया। इससे राज्‍य को शर्मिंदगी का एहसास हुआ होगा। अत: मैंने उस यात्रा को ही निरस्‍त कर दिया।

मेरे मन में इस बात के लिए अपराधबोध हो रहा है कि मैंने दोहरी मूर्खता की। एक तो तुम्‍हारे बगैर वहाँ जाने के बारे में सोचा और राज्‍य का प्रस्‍ताव स्‍वीकार करने से पूर्व शेख से अनुमति नहीं ली। मैंने सोचा था कि मैं राज्‍य के इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार करके लोगों की कुछ सेवा कर सकूँगा। मुझे यह स्‍वीकार करना ही पड़ेगा कि शेख और उसके साथियों के संपर्क में आकर मुझे प्रसन्‍नता नहीं हुई। उन्‍हें हम सबसे अधिक अविवेकी प्रतीत होते हैं। खान साहब ने उनके साथ तर्क किये, लेकिन उनकी बातचीत निरुद्देश्‍य ही थी।

तुम्‍हारी सीलोन यात्रा बहुत सफल रही। इसके तत्‍काल परिणामों से बहुत फर्क नहीं पड़ता। सालेह तय्यबी ने मुझे तुम्‍हें बर्मा भेजने के लिए कहा है। एंड्रयू तुम्‍हारे बारे में दक्षिण अफ्रीका के संदर्भ में सोच रहे हैं। सीलोन में काँग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का ख्‍याल अचानक ही मेरे मन में आया था। बाकी दो की योजनाएँ इसके परिणामों को मद्देनजर रखते हुए बनाई गई थीं।

मुझे उम्‍मीद है कि जब हम मिलेंगे, तुम तरोताजा होगे और कृष्‍णा अपने में मस्‍त।
- बापू

( महात्‍मा गाँधी की संकलित रचनाओं से साभार)
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार