रैगिंग उन्मूलन संकल्प दिवस

गाँधी जयंती एक अनूठे अंदाज में

भाषा
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गाँधी जयंती को देशभर में विविध तरीकों से मनाने की परंपरा के बीच देश के शिक्षाविदों ने इस दिन को रैगिंग उन्मूलन संकल्प दिवस के रूप में मनाने की हिमायत करते हुए कहा है कि रैगिंग एक मनोविकृति है और इससे निपटने में ‘गाँधीगिरी’ का आधुनिक फार्मूला कारगर साबित हो सकता है ।

दरअसल राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती मनाने का सबसे अच्छा तरीका तो यह होगा कि उनके मूल्यों और सिद्धांतों को आत्मसात किया जाए। नई पीढ़ी को अगर ऐसा करना मुश्किल लगे तो वह इस दिन किसी एक बुराई के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लेकर अपनी तरफ से महात्मा को श्रद्धांजलि दे सकते हैं। आज के माहौल में रैगिंग जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लेना मौजूँ होगा क्योंकि यह शिक्षा जगत से जुड़ी एक बड़ी समस्या है ।

शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी नौकरशाह रीना रॉय का मानना है कि रैगिंग एक मनोविकृति है और इससे निपटने के लिए अन्य साधनों के साथ गाँधीवाद का भी सहारा लेना होगा।

प्रख्यात गाँधीवादी विचारक एवं गाँधी स्मृति दर्शन की अध्यक्ष तारा गाँधी का मानना है कि गाँधी के आदर्श एवं मूल्यों की बदौलत हमने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की इतनी बड़ी लड़ाई जीत ली और समाज से छुआछूत और अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों को मिटाने में सफल रहे तो फिर महात्मा गाँधी के दर्शन एवं सिद्धांतों के सहारे हम रैगिंग जैसी घातक सामाजिक बीमारी को स्कूल, कालेजों और विश्वविद्यालयों से क्यों नहीं मिटा सकते।

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