प्रभात झा

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मध्‍यप्रदेश के दबंग सांसद, पत्रकार और राज्‍यसभा में मध्‍यप्रदेश का नेतृत्‍व कर रहे प्रभात झा का जन्‍म 4 जून 1957 को बिहार के दरभंगा के हरिहरपुर ग्राम में हुआ था। पिता का नाम पनेश्वर झा तथा माता का नाम अमरावती झा था।

वे अपने परिवार के साथ ही मध्‍यप्रदेश के ग्‍वालियर में आ गए तथा यहीं से उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा संपन्न हुई। इसके बाद उन्होंने ग्‍वालियर के पीजीवी कॉलेज से बीएससी, माधव कॉलेज ग्वालियर से राजनीति शास्त्र में एमए तथा एमएलबी कॉलेज ग्वालियर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।

मुख्यमंत्री बनने की लालसा के प्रश्न पर एक बार झा ने घोषणा की थी कि मैं 62 की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लूंगा। प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि वे एक एकड़ जमीन भी खरीदेंगे और 5वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूल चलाएंगे। साथ ही राजनीति से संन्यास के बाद 5 गाय और 2 भैंस भी पालेंगे।

प्रभात झा की शादी रंजना झा से हुई और उनके दो पुत्र हैं, जिसमें से एक का नाम तुष्मुल झा है। गत वर्ष प्रभात झा पर आरोप भी लगे थे कि उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से अपने बेटे को भी राजनीति में लांच कर दिया है। इसके अलावा तुष्मुल द्वारा सिंगरौली जिले में पेट्रोल पंप के लिए जमीन खरीदी को लेकर अचानक उपजे विवाद ने भी तूल पकड़ा था।

विवाह उपरांत प्रभात झा पत्रकारिता करने लगे। लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद वे राजनीति में आए और बीजेपी के सदस्‍य बने। इस दौरान भी वे लगातार अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए आलेख व स्‍तंभ लिखते रहे। वे पूर्ण रूप में एक सफल राजनेता 2008 में बने। प्रभात झा भाजपा के मुखपत्र 'कमल संदेश' के संपादन का दायित्व भी निभा रहे हैं।

अप्रैल 2008 में मध्‍यप्रदेश के राज्‍यसभा चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर विधानसभा सदस्‍य बने और रुरल डेवलपमेंट कमेटी के सदस्‍य बन गए। जनवरी 2010 में वे पॉपुलेशन एवं पब्लिक हेल्‍थ के संसदीय फोरम सदस्‍य बनाए गए।

अक्टूबर 2009 में लिकर किंग विजय माल्या ने प्रभात को बतौर तोहफा शराब की बोतल भेजी थी। इस पर झा ने बोतल लौटाते हुए पत्र लिखा था कि 'मेरा आपसे न तो कोई परिचय है और न ही मेरे-आपके अंतरंग संबंध है। मैं शराब का शौकीन भी नहीं हूं। आपने शराब की जगह कोई किताब भेजी होती, तो अच्छा होता।'

अगस्‍त 2012 में वे रेलवे कमेटी के सदस्‍य बने और अप्रैल 2013 से वे शिल्पकारों और कारीगरों के संसदीय फोरम के सदस्‍य हैं। आसाराम को रेप तथा अन्‍य आरोपों में निर्दोष बताए जाने के बाद से प्रभात झा की खूब आलोचना हुई।

हिन्दी भाषा में उनकी कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें, 2005 में 'शिल्पी' (तीन खंडों में), 2008 में 'जन गण मन' (तीन खंडों में), 2008 में ही 'अजातशत्रु - पं. दीनदयालजी', 'संकल्प', 'अंत्योदय', 'समर्थ भारत', '21वीं सदी - भारत की सदी', 'चुनौतियां' तथा 'विकल्प' हैं। अगस्त 2009 में लोकसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी।

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