बीटरूट से चमके सेहत

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बीटरूट या लाल शकरकंदी जिस रूप में हम आज इसे जानते हैं वह सोलहवीं शताब्दी में विकसित की गई थी। पहले यह केवल मध्य योरप में लोकप्रिय थी बाद में यह विश्व के दूसरे देशों तक पहुँची। भारतीय थाली तक पहुंचने में इसे काफी वक्त लगा।

सबसे पहले दक्षिण भारत ने इसे अपनाया क्योंकि वास्कोडिगामा इसे साथ ले आया था। मूल रूप से इसे केवल रक्तवृद्धि के लिए ही उपयुक्त माना जाता था लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं हैं।

बीटरूट में कोई फैट नहीं होता इसलिए इसे स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इसमें बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती तथा खूब अधिक मात्रा में फायबर होता है। इसमें मौजूद बीटानिन और बीटाकेरोटीन प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं।

बीटरूट के सेवन से त्वचा में लालिमा आती है। इससे शरीर में हिमोग्लोबिन बढ़ता है। आंखों की रोशनी के लिए भी बीटरूट फायदेमंद है।

बीटरूट शरीर में वसा की मात्रा नहीं बढ़ने देता है। सर्दियों में बीटरूट विशेष फायदेमंद है। यह शरीर की ताकत बढ़ाता है। इससे आंतों की सफाई होती है।
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