हानिकारक रंगों के नुकसान

होली, होली...

Webdunia
- नरेन्झ देवांग न

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सब्ज धरती और नीले आसमान के बीच बिखरते रं ग, हवा में फैलती मदमाती सुगं ध, मन को ऊर्जा से भरता वातावरण... बस फागुन की पदचाप... और ये लीजिए हो गई दरवाजे पर रंगों की दस्तक। मुट्ठी में भरा गुलाल और फूले गालों के अंदर मिठास घोलती गुझिया... सच में होली जैसा अनूठा त्योहार और कोई नहीं है ।

लेकिन मन में भरे उत्साह और उल्लास को कुछ पलों में विराम लग जाता है जब कोई हानिकारक केमिकल या अस्वस्थ करने वाला पदार्थ रंगों में मिल जाता है। तो क्यों न इस बार इकोफ्रेंडली होली मनाएँ और खुशियों को बदरंग होने से बचाए ँ?

पुराने जमाने में जब आज की तरह रंग नहीं हुआ करते थ े, तब लोग प्राकृतिक रंगों से ही होली का आनंद उठाया करते थे। धीरे-धीरे रंग और गुलाल कृत्रिम पदार्थों से बनने लगे और इनमें विभिन्न रसायनों का प्रयोग भी धड़ल्ले से होने लगा। नतीजा स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों के साथ मानसिक दिक्कतें भी पनपने लगीं और देखते ही देखते 'होली कैसे मनाए ँ' की जगह लोग 'होली से कैसे बचे ं' की कवायदें करने लगे।
  हवा में फैलती मदमाती सुगंध, मन को ऊर्जा से भरता वातावरण... बस फागुन की पदचाप... और ये लीजिए हो गई दरवाजे पर रंगों की दस्तक। मुट्ठी में भरा गुलाल और फूले गालों के अंदर मिठास घोलती गुझिया... सच में होली जैसा अनूठा त्योहार और कोई नहीं है।      


त्वचा और आँखों पर रंगों का दुष्प्रभा व

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ज्यादातर रंग केमिकल्स से तैयार किए जाते है ं, जिसमें कुछ ऐसे हानिकारक तत्व मिले होते है ं, जिनका सीधा उपयोग त्वचा को नुकसान पहुँचाता है। इसे पानी में मिलाकर लगाया जा ए, तो कम असर होता ह ै, लेकिन रंगों को पानी में घोले बिना त्वचा पर लगाने से केमिकल्स के कण सीधे त्वचा के संपर्क में आते हैं और त्वचा जल जाती है।

दुष्प्रभा व

* त्वचा का लाल हो जान ा, दाने निकल आना ।
* त्वचा पर खुजली या जलन होना ।
* त्वचा छिल जान ा, दरार पड़ना या सूख जाना ।
* त्वचा का रंग बदल जाना (काल ा, सफेद) ।
* रंगों से एलर्जी होने पर आँखों का सूजन ा, होंठ सूजन ा, आँखों से पानी आ सकता है ।
* नाखून के आसपास तथा हथेलियों में एलर्जी हो सकती है ।

आँखों को बचाए ँ

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रंगों से खेलते समय बाहरी तत्व आँखों में प्रवेश कर सकते हैं। नतीजा आँखों में लंबे समय तक किरकिरी महसूस होन ा, आँखों से पानी बहना और आँखों में लाली आना जैसे लक्षण होते हैं। इसके पश्चात आँखों को मलने या जोर से रगड़ने से कॉर्नियल इपीथीलियम को नुकसान पहुँचता ह ै, जिससे कॉर्नियल अल्सर हो सकता है ।

रंग या पानी भरे गुब्बारे फेंकन े, कीच ड़, ग्रीस या पत्थर फेंककर होली खेलना भी आँखों के लिए खतरनाक है। इससे कंजक्टाइवल हेमरेज भी हो सकता है। कैटेरेक् ट, रैटीना और मेक्यूला को हानि पहुँचने से आँखों की रोशनी भी जा सकती है ।

परेशानी होने प र
* आँखों को मलने या रगड़ने के बजाय बार-बार पानी से धोएँ ।
* आँखों में एंटीबायोटिक मल्हम लगाएँ ।
* आँखों के विशेषज्ञ से जल्द से जल्द संपर्क करें ।
* अच्छी क्वालिटी के वेजिटेबल रंग उपयोग करें ।

जरूरी है कि हम चेत जाएँ और होली मनाएँ कुछ दोस्ताना अंदाज में। दोस्ती फूलों स े, प्रकृति से और उन सभी चीजों से जो नुकसान न पहुँचाएँ। यह एक अच्छी बात है कि लोग अब होली के प्राकृतिक रंगों के प्रति जागरूक बन रहे है ं, पर इस चेतना को और फैलाना होगा।
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