जानलेवा भी होती हैं दवाएँ

Webdunia
डॉ. सलिल भार्ग व
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दवाएँ उतनी ही मात्रा में लेना चाहिए जितनी चिकित्सक ने लिखी हो। इससे कम या अधिक नुकसानदायक हो सकती है अधिकांश दवाईयाँ ऐसी होती है जिनके साइड इफेक्ट्स भी हों सकते है। अतः अपने मन से कोई दवाई न ले,ये आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकती है।

जीवन की रक्षा करने वाली दवाइयाँ हमेशा सुरक्षित नहीं होती हैं। यदि आप चिकित्सक की सलाह के बिना इन्हें मनमाने तरीके से ले रहे हों तो ये खतरनाक भी हो सकती हैं।

दवा की खुराक एवं मात्रा में से किसी भी एक का ध्यान न रखा जाए तो ये दवाइयाँ कभी-कभी खतरनाक हो सकती हैं। दमा के तेज अटैक से तुरंत राहत के लिए चिकित्सक ओरल स्टीरायड्स मरीज को देते हैं, लेकिन देखा गया कि करीब 5 से 10 प्रतिशत मरीज उन पर्चों को संभालकर रख लेते हैं ताकि जब दोबारा अटैक आए तो वही दवा फिर से खा लें।

कई मरीज तो चिकित्सक को बिना बताए हफ्तों और यहाँ तक कि महीनों भी अपने मन से स्टेरायड्स खाते रहते हैं। इसके गंभीर परिणाम होते हैं। इसी तरह ब्लड प्रेशर की दवाइयों की खुराक बिना रक्तचाप नापे ज्यादा या कम नहीं करना चाहिए।

   कई मरीजों के परिजन अस्पताल के आईसीयू में यह कहते हुए सुनाई पड़ते हैं कि हमारे मरीज को रक्तचाप की शिकायत अर्से से है और वे नियमित दवा खाते हैं। अब सिरदर्द की शिकायत होने पर भी उन्हें लगा कि रक्तचाप बढ़ गया है इसलिए एक गोली और खा ली।      
कई मरीजों के परिजन अस्पताल के आईसीयू में यह कहते हुए सुनाई पड़ते हैं कि हमारे मरीज को रक्तचाप की शिकायत अर्से से है और वे नियमित दवा खाते हैं। अब सिरदर्द की शिकायत होने पर भी उन्हें लगा कि रक्तचाप बढ़ गया है इसलिए एक गोली और खा ली। इससे रक्तचाप तेजी से गिर गया तो आईसीयू में भर्ती करवाना पड़ा। कई लोग सिरदर्द, बदन दर्द के लिए एस्प्रीन, आइब्रूफेन व अन्य दर्द निवारक दवाएँ बिना निदान के अपने आप कई वर्षों तक लगातार लेते रहते हैं।


ये दवाइयाँ कुछ समय के लिए सिर्फ दर्द को दबाती हैं। कारण को ठीक नहीं करती। इन दवाइयों से पेट में अल्सर, एनिमिया, गुर्दे खराब होना इत्यादि परेशानियाँ आ सकती हैं।

कई लोग कमजोरी के लिए विभिन्न प्रकार के टॉनिक व विटामिन्स खाते रहते हैं। बी-कॉम्प्लेक्स व विटामिन-सी यदि ज्यादा ले भी लिए तो मूत्र के साथ निकल जाते हैं। लेकिन कुछ घुलनशील विटामिन्स जैसे विटामिन 'ए' व विटामिन 'डी' ज्यादा खुराक के कारण शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया में व्यवधान भी उत्पन्न कर सकते हैं।

एंटीबायोटिक्स अपने मन से न लें। कई बार उनकी जरूरत नहीं होती। कई मरीज इस हिस्ट्री के साथ आते हैं कि पिछली बार जैसे लक्षण थे, इसलिए हमने आपका पिछला पर्चा दिखाकर दवा ले ली, लेकिन इस बार फायदा नहीं हुआ।

एक ही एंटीबायोटिक को बार-बार लेने से उससे शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति पैदा हो जाती है। ऐसी स्थिति में हल्की एंटीबायोटिक असर नहीं करती। अब केवल ताकतवर एंटीबायोटिक देने पर भी फायदा होता है। अधिक समय तक एंटीबायोटिक खाने से बीमारी बढ़ती रहती है और कई बार उसके साइड इफेक्ट्स- जैसे- दस्त होना, पेट खराब हो जाना, मुँह में छाले इत्यादि हो सकते हैं। इसलिए कोई सी भी एलोपैथिक दवाई चिकित्सक के परामर्श के बगैर न लें। खासकर वे लोग जो पहले ही से दवाइयाँ लेते रहते हैं उन्हें विशेष ख्याल रखना चाहिए क्योंकि उनकी पहले की दवाइयाँ इन नई दवाइयों से इंटरऐक्ट कर उनके लिए नई परेशानियाँ खड़ी कर सकती हैं।

डॉ., प्रोफेसर, पल्मोनरी मेडिसीन
वरिष्ठ चिकित्सक हैं और मरीजों की कई कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े हैं। देश-विदेश की कई कॉन्फ्रेंस में शोधपत्रों का वाचन कर चुके हैं।
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