कम्प्यूटर और अँगरेजी का जोड़ ग्लोबिश

शुभांगी रावल

Webdunia
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बात बहुत पुरानी नहीं है, लेकिन फिर भी अब यह हमारी आदत का हिस्सा बन गई है। कभी अपने एसएमएस या फिर टेक्स्ट ई-मेल्स की भाषा पर ध्यान दिया है? टू के लिए २ और ग्रेट के gr8 लिखा होना बहुत आम है। शुरू-शुरू में इसे पढ़ने में थोड़ी दिक्कत आई, लेकिन अब लगता है कि यह पढ़ना भी आसान है और लिखना तो बहुत ही ज्यादा सुविधाजनक...।

जी हाँ, अँगरेजी के ग्लोबल होने का एक कारण यह भी तो है। अँगरेजी के ग्लोबल होने का इतिहास लिखा है ब्रिटेन के 'द ऑब्जर्वर' के एसोसिएट एडिटर रॉबर्ट मैक्क्रम ने। अपनी किताब 'ग्लोबिश : हाऊ द इंग्लिश लैंग्वेज बीकेम द वर्ल्ड्स लैंग्वेज' में मैक्क्रम ने अँगरेजी के बजाए एक नई भाषा के विकास की जानकारी दी है।

उन्होंने बताया है कि किस तरह औपनिवेशिककाल की अभिजात्य भाषा ने कम्प्यूटर की साथी होते ही अपना रूप बदला है। वे इसे इंग्लिश और माइक्रोसॉफ्ट का जोड़ कहते हैं। मैक्क्रम की 'ग्लोबिश...' चार भाग और 12 अध्यायों में बँटी हुई है। इसी में वे अँगरेजी की जीवनी बयान कर रहे हैं। मैक्क्रम बताते हैं कि हकीकत में ये टूल वे लोग जल्दी सीख पा रहे हैं, जो गैर-अँगरेजी भाषी हैं।

दरअसल ग्लोबिश अब अँगरेजी का एक नया टूल बन चुकी है। नब्बे के दशक के अंत में एक भारतीय भाषाविद् मधुकर गोगाटे ने अँगरेजी बोलने के कृत्रिम ढंग के रूप में 'ग्लोबिश' शब्द ईजाद किया था। जैसे कि अब ' इज' के लिए 'आईएस' की जगह 'आईज़ेड' का लिखा जाना।

बाद में 2004 में आईबीएम के रिटायर्ड मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव फ्रांस के ज्याँ पॉल नेरियर ने इसे ट्रेडमार्क कराया और 'पारलेज ग्लोबिश' नामक किताब प्रकाशित कराई। ज्याँ यद्यपि इसे भाषा नहीं मानते हैं, लेकिन भाषा के एक टूल के रूप में इसे मान्यता देते हैं। उन्होंने इस टूल के लिए मात्र 1500 शब्दों की लिस्ट तैयार की है, जिसके सहारे आप बहुत आसानी से अँगरेजी या ग्लोबिश बोल सकते हैं।

इसी टूल को मिली विश्वव्यापी मान्यता की प्रक्रिया पर लिखते हुए मैक्क्रम कहते हैं कि यह दो गैर-अँगरेजी भाषी लोगों के बीच संवाद का सुविधाजनक पुल है। तो कम्प्यूटर ने एक नई तरह की भाषा को लोकप्रिय बनाया है, आखिरकार भाषा का लक्ष्य तो संवाद ही है ना!

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