नारी-स्वतंत्रता की पक्षधर मालती जोशी

4 जून जन्मदिन विशेष

Webdunia
डॉ. सरोजकुमा र
NDND
प्रदेश शासन के 'शिखर सम्मा न' एवं साहित्य-सम्मेलन के ' भवभूत ि' अलंकरण से पुरस्कृत हिन्दी की ख्यात कथा लेखिका मालती जोशी आज 4 जून को अपने यशस्वी जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर रही हैं। यह उनका अमृत प्रसंग है। उनकी अब तक 45 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उपन्यास, कहानी संग्रह, व्यंग्य संग्रह एवं काव्य संग्रह शामिल हैं। बच्चों के लिए भी आपने खूब लिखा है।

देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में वे लगातार प्रकाशित होती रही हैं। 'नईदुनिय ा' में उनकी लगभग 50 कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। जया बच्चन, गुलजार, मंजूसिंह जैसे निर्माता-निर्देशकों ने उनकी कहानियों पर दूरदर्शन के एपिसोड बनाए हैं। श्रीमती जोशी की शिक्षा-दीक्षा इंदौर में हुई।

मालतीजी की कहानियाँ मध्यम वर्ग की कथा-व्यथा के लिए जानी जाती हैं। इस वर्ग को वे अपनी जानी-पहचानी दुनिया मानती हैं। इसी वर्ग की नारियाँ उनकी कहानियों में अपने जीवन-दर्शन सहित उपस्थित हैं। यह उनकी सीमा भी है और विशेषता भी।

आपने वे ही अनुभव कहानियों में लिखे हैं, जो उनके फर्स्ट हैंड अनुभव रहे। उधार के अनुभवों से कहानी रचना उन्हें पसंद नहीं। वे साहित्य के किसी खेमे से नहीं जुड़ीं, न किसी को अपना गॉडफादर बनाया। सकारात्मक दृष्टिकोण से लिखी गईं उनकी कहानियाँ आशावादी होती हैं। ईश्वर में श्रद्धा और अटूट विश्वास उन्हें शक्ति देता है। उन्हें विश्वास है कि ' भली करेंगे राम ।'

  प्रदेश शासन के 'शिखर सम्मान' एवं साहित्य-सम्मेलन के ' भवभूति' अलंकरण से पुरस्कृत हिन्दी की ख्यात कथा लेखिका मालती जोशी आज 4 जून को अपने यशस्वी जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर रही हैं। यह उनका अमृत प्रसंग है।      
मालतीजी नारी-स्वतंत्रता की पक्षधर हैं, नारी-स्वच्छंदता की नहीं। उनका मत है कि दासी से स्वामिनी बनने का उद्यम, नारी को घर छोड़कर नहीं, घर में ही अपनी अस्मिता विकसित करते हुए करना होगा। वे मराठी भाषी हैं, किंतु उनके मौलिक लेखन और चिंतन की भाषा हिन्दी है।

उनकी मराठी कहानियाँ भी मूलतः हिन्दी में लिखी गईं उनकी कहानियों का भावानुवाद हैं। मालतीजी की जीवन-यात्रा एवं लेखन-यात्रा निर्विघ्न रही है। लेखन में प्रोत्साहन का श्रेय वे अपने स्व. इंजीनियर पति सोमनाथ जोशी और समूचे परिवार की सदाशयता तथा सहयोग को देती हैं। वर्षों से वे भोपाल निवासी हैं। लेखिका होने का दंड आपने कभी परिवार को नहीं दिया। परिवार उनकी सदैव प्राथमिकता रहा। मालतीजी के दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन के लिए मंगलकामनाएँ।

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