प्रारब्ध नए युग का

Webdunia
हेमंत गुप्ता 'पंकज'
WDWD
मैं छोड़ दूँगा एक दिन तुम्हें

या

छूट जाऊँगा मैं तुम से

नहीं रहेगा मुझ में,

प्रेम या घृणा का जज्बा

सुख-दुःख का अहसास,

स्वप्निल अठखेलियाँ

व्यतीत की अनुभूतियाँ

समाप्त हो जाएँगी

हो जाएगा अंत,

इस युग के

एक अध्याय का,

मेरे साथ ही

फिर भी जारी रहेगा

सूर्य का उदित और अस्त होना प्रतिदिन

सृष्टि का सृजन और विनाश निरंतर

हवाओं का अट्टहास और विलाप,

दिशाओं का लहराना और थमना

फूलों का खिलना और मुरझाना, निर्बाध

मेरे बाद भी, रहेंगी अक्षुण्ण,

शब्द की गूँज और चुप्पी

स्मृति और विस्मृतियाँ

ये घर-आँगन, तुम्हारी सौगातें,

WDWD
ये पौधे, जो रोपे हैं हमने

वृक्ष हो जाएँगे

अपनी चहारदीवारी में

और इनके तले तुम्हारे आँचल में

रहेंगी शेष मेरी कविताएँ चैतन्य

मैं अचानक हो जाऊँगा इतिहास

जिसके वातायन से प्रसवित होगा

प्रारब्ध नए युग का।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

कंसीलर लगाने से चेहरे पर आ जाती हैं दरारें, तो अपनाएं ये 5 सिंपल टिप्स

क्या होता है Nyctophobia, कहीं आपको तो नहीं हैं इसके लक्षण?

चेहरे पर रोज लगाती हैं फाउंडेशन? हो सकती हैं ये 7 स्किन प्रॉब्लम

अंगड़ाई लेने से सेहत रहती है दुरुस्त, शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे

रोज लगाते हैं काजल तो हो जाएं सावधान, आंखों में हो सकती हैं ये 5 समस्याएं