तुम्हारे मन का राज

फाल्गुनी

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शब्द रंगीन हो जाते हैं
जब प्यार में डूबे हों
और
शब्द रंगहीन हो जाते हैं
जब विरक्ति में रचे हों...
शब्दों के रंगों से जानती हूं
मैं तुम्हारी गंध
और
शब्दों के स्वाद से ही
पता चलता है
मुझे तुम्हारा साथ...
तुम्हारा प्रगाढ़ प्रेम से पगा हाथ...
बस थोड़ी-सी बात
और
जान जाती हूं मैं
तुम्हारे मन का राज...
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