बेटी पर कविता : वंश पनपता बेटी से

मृणालिनी घुले

Webdunia
कन्या भ्रूण का हो क्यों हनन?
इस पर थोड़ा करो मनन!

जीव का है जीवन अधिकार
फिर क्यों उस पर अत्याचार?

जननी जन्मदायिनी कन्या,
इससे चलता है संसार,

नाम हो कुल का बेटे से,
तो वंश पनपता बेटी से,

बेटी बिना है सूना जीवन,
बिन चिडि़या के जैसे आँगन,

बिन खुशबू के चंदन काठ,
कन्या भ्रूण पर कुठाराघात,

है समाज का घोर कलंक,
भर लो उसको अपने अंक।
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