शरद की पूर्णिमा को ...

Webdunia
प्रभा सक्सेना
NDND
अँधेरा-
वह चाँदनी हुआ है
पहली बार मेरे समीप

कितना सुखद है
दुग्ध धवल बिस्तर पर
यों अकेले लेटना
और विभोर कर देने वाली
शरद की पूर्णिमा को
रोम रोम से
अपने भीतर
झरते हुए देखना

अंधकार प्रतिमाओं से दूर
बहुत दूर
मैं रह गया हूँ
महा नीलाकाश
और यह पूर्णिमा नहीं
मेरी चेतना है
जो धरती से आकाश तक
फैल गई है ।

हवा और मिट्‍टी से
तद्‍गत
तद्‍रूप
एक ‍अनिर्वचनीय
नाद की उर्मियों पर ।

साभार : संबोधन

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

Men Face Glow Tips: इन 8 आदतों से भारतीय पुरुष की स्किन रहेगी ग्लोइंग और हेल्दी

कंसीलर लगाने से चेहरे पर आ जाती हैं दरारें, तो अपनाएं ये 5 सिंपल टिप्स

क्या होता है Nyctophobia, कहीं आपको तो नहीं हैं इसके लक्षण?

चेहरे पर रोज लगाती हैं फाउंडेशन? हो सकती हैं ये 7 स्किन प्रॉब्लम

अंगड़ाई लेने से सेहत रहती है दुरुस्त, शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे