कबीट : पेट रोगों का विशेषज्ञ

कबीट : घर का डॉक्टर

Webdunia
ND
आयुर्वेद में कबीट को पेट रोगों का विशेषज्ञ माना गया है। इसका जहाँ शरबत इस्तेमाल किया जाता है, वहीं चटनी भी खूब पसंद की जाती है। दक्षिण भारत से लेकर ठेठ उत्तर तक कबीट का साम्राज्य है। मोटे तौर पर कबीट को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। पहले वर्ग में छोटे आकार के कबीट फल होते हैं जो स्वाद में बहुत खट्टे होते हैं साथ ही गले पर भी असर करते हैं। दूसरे वर्ग में वह कबीट है जो आकार में बड़ा होता है। इसका गूदा खट्टापन लिए मीठा होता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक कबीट के गूदे को तरोताजगी प्रदान करने वाला मानते हैं। कच्चे कबीट में एस्ट्रीजेंट्स होते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। यह डायरिया और डीसेंट्री के मरीजों के इलाज में मुफीद माना जाता है। मसूड़ों तथा गले के रोग भी इससे ठीक होते हैं। बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।

कबीट के गूदे से बहुत ही उम्दा किस्म की जैली बनाई जाती है जो दिखने के साथ ही गुणवत्ता में ब्लैक करंट या एप्पल जैली की तरह होती है। छोटे कबीट की खट्टी तासीर को चटनी बनाकर उपयोगी बना लिया जाता है। इसमें गुड़ या शकर के साथ जीरा मिर्च और काला नमक भी पीस लिया जाता है। यह अम्ल पित्त में औषधि का काम करती है।

चेतावनी : कमजोर शरीर वालों के लिए कच्चा कबीट पेट दर्द का कारण हो सकता है।

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार

प्राइमरी टीचिंग में करियर बनाएं