थैंक्‍यू पापा...

Webdunia
- नुपूर दीक्षित

फरवरी का महीना था, बीएससी सेकेंड ईयर की मेरी परीक्षाएँ चल रही थीं। किताबी कीड़े की तरह मैं अपने नोट्स में आँखें गड़ाए बैठी थी। माँ और भैया दोनों मौसी के घर शादी में गए थे। सुबह से शाम हो गई, पर मैं अपने मुँह पर सेलो टेप चिपकाए, जूलॉजी की किताबों में कॉक्रोच, प्रॉन, चिडि़या और मानव शरीर की दुनिया में खोई रही।

किताबों और बिखरे हुए नोट्स को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे इस बार जूलॉजी की वजह से मेरा टॉप करने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। यह सब सोचकर मैं सुबह से ही चिड़चिड़ कर रही थी। मैं लड़ने के पहले ही हार माने बैठी थी।

शाम के समय पापा छत पर घूम रहे थे। कुछ देर के बाद पापा ने घर के सामने रहने वाली रूबी को मेरे पास भेजा। रूबी ने कहा, जल्‍दी चलो दीदी, अंकल ने आपको अभी छत पर बुलाया है। मैं जब छत पर पहुँची तो पापा पक्षियों के झुंड को निहार रहे थे।

हमारे शहर में हर साल जनवरी-फरवरी में प्रवासी पक्षी आते हैं। आकाश में एक के पीछे एक पक्षियों के झुंड चले आ रहे थे। मौसम एकदम साफ था। आकाश में उड़ रहे वे पक्षी बेहद खूबसूरत लग रहे थे।

पापा ने मेरी ओर देखकर कहा, ‘देखो बेटा, कैसे उड़ रहे हैं ये पक्षी। मैंने चिढ़कर कहा कि आपने यह दिखाने के लिए मुझे बुलाया था, कल मेरा पेपर है।’

एकदम शांत भाव से पापा ने कहा, ''मैं जानता हूँ''

इसलिए तो बुलाया है। थोड़ी देर रुककर देखो तो सही। फिर पापा मुझे उँगलियों से इशारे कर के पक्षियों के झुंड दिखाने लगे।

मैं अनमने ढंग से पक्षियों की तरफ देखने लगी, पर थोड़ी ही देर में यह सब मुझे अच्‍छा लगने लगा। कुछ देर में मेरी सारी थकान दूर हो गई। जब पापा समझ गए कि मुझे मजा आ रहा है, तब उन्‍होंने कहा कि तुम परीक्षा में टॉप करने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों से आगे बढ़ने के लिए मेहनत करती हो। कोई और तुमसे आगे चला जाएगा, यह सोचकर तुम तनाव में आ जाती हो।

कल तुम्‍हारा पेपर है। फिर भी मैंने तुम्‍हें पक्षियों को देखने के लिए बुलाया ताकि तुम आगे और पीछे रहने की इस प्रतिस्‍पर्धा से परे हट सको।

इन पक्षियों को देखो, यह सब साथ-साथ उड़ते हैं, कोई आगे, कोई पीछे। हम पक्षी नहीं हैं, लेकिन जीवन में हम भी कभी आगे रहते हैं तो कभी पीछे। आगे रहने का यह मतलब नहीं होता कि कोई और कभी हमसे आगे नहीं आ सकता और पीछे रहने का भी यह मतलब नहीं होता कि हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। तुम अपनी गति से अपने रास्‍ते पर चलो, कौन आगे है, कौन पीछे इसे भूल जाओ।

उस समय तो मुझे यह सबकुछ लेक्‍चर की तरह लगा। लेकिन पापा ने मेरी परेशानी की नब्‍ज पकड़ ली थी। उनके डोज ने इस बीमारी को मिटा भी दिया। आज मैं दूसरों से अपनी तुलना करने की बजाए अपनी मंजिल और उसके रास्‍ते पर ध्‍यान लगाती हूँ। थैंक्‍यू पापा...

Show comments

चेहरे को हफ्ते में कितनी बार स्क्रब करना होता है सेफ? जानें स्क्रब करने का सही तरीका

डेट पर जमाना है अपना इम्प्रेशन तो ये 5 Casual Trouser करें ट्राई

महेंद्र सिंह धोनी का ये 1 घंटे वाला फिटनेस मंत्र दे सकता है आपको Workout Motivation

जज्बे को सलाम! बीमारी के बाद काटने पड़े हाथ-पांव, फिर भी संसद पहुंचे, लड़ना चाहते हैं चुनाव

पुरुष गर्मी में चेहरे को तरोताज़ा रखने के लिए ट्राई करें ये 4 आसान फेस पैक

आखिर क्या है मीठा खाने का सही समय? जानें क्या सावधानियां रखना है ज़रूरी

रोज करें गोमुखासन का अभ्यास, शरीर को मिलेंगे ये 10 गजब के फायदे

जमीन पर बैठने का ये है सही तरीका, न करें ये 3 गलतियां वरना फायदे की जगह होगा नुकसान

अपने हाथ पर बनवाना चाहते हैं Infinity Tattoo तो ट्राई करें ये 4 बेहतरीन डिजाइन

वेक-अप स्ट्रोक क्या है? जानें किन लोगों में रहता है इसका खतरा और बचाव के उपाय