गोपाचल के निकटवर्ती तीर्थ क्षेत्र

Webdunia
WDWD
गोपाचल को केंद्र बिन्दु मानकर 150 किलोमीटर की परिधि का एक वृत्त बनाया जाए तो इस घेरे में जैन पुरातत्व के वैभव एवं अनेक तीर्थ क्षेत्रों के दर्शन मिलेंगे। गोपाचल के निकटवर्ती विभिन्न अंचलों (ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, मुरैना, भिंड जिले) में युगयुगीन जैन संस्कृति के अनेक प्रतीकात्मक स्मारक उपलब्ध हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि जैन तीर्थंकरों एवं साधुओं ने संपूर्ण देश में पैदल विहार कर धर्म का प्रचार किया और अहिंसामयी जीवन पद्धति का उपदेश दिया।

ये क्षेत्र एवं स्थल अध्यात्म के केंद्र हैं, वहीं पुरातत्व सामग्री की अतुल संपदा के धनी हैं, जो शोध एवं ऐतिहासिक सामग्री से परिपूर्ण हैं तथा पर्यटकों के लिए भी मनोरंजक सामग्री देने वाले दर्शनीय स्थल हैं। अल्प विवरण के साथ सूची प्रस्तुत है-

1. सिद्धक्षेत्र सोनागिर- नंगालंग कुमार सहित साढ़े पाँच करोड़ मुनियों की निर्वाण स्थली एवं आठवें तीर्थंकर श्री चंद्रप्रभु की विहार स्थली जिनका समवशरण पंद्रह बार यहाँ आया। आगरा-झाँसी रेल मार्ग दतिया स्टेशन से तीन मील दूरी पर सोनागिर रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से 5 कि.मी. पर सोनागिर तीर्थ क्षेत्र है।

2. करगवाँ- नगर झाँसी उत्तरप्रदेश से 3 कि.मी. दूर अतिशय क्षेत्र करगवाँ है।

3. सिंहौनिया- गोपाचल दुर्ग के निर्माता राजा सूर्यसेन के पूर्वजों ने दो हजार वर्ष पूर्व इसकी स्थापना की थी। यह अतिशय क्षेत्र है एवं मध्यप्रदेश में पुरातत्व और कला की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। अवसिन नदी के तट पर स्थित यह स्थान आगरा-ग्वालियर के मध्य मुरैना से 30 कि.मी. दूर है।

4. दूब कुंड- यहाँ रहस्य की परतों में पुरातत्व छिपा है। ग्वालियर से लगभग 100 किलोमीटर दूर श्योपुर-ग्वालियर मार्ग के बाईं ओर गोरस-श्यामपुर मार्ग जाता है। उस पर लगभग दस मील चलने पर दुर्गम वनों में पर्वतों में डेढ़ मील की दूरी पर डोभ नामक छोटा-सा गाँव है। इसके पास ही एक कुंड है और इसीलिए दूब कुंड नाम का यह अतिशय क्षेत्र है। कुंड के पास हजारों जैन मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं, ो किसी कला मर्मज्ञ की खोज में है।

5. पद्मावती (पवाया)- पुराणों में वर्णित पद्मावती नगरी। ऐतिहासिक दृष्टि से इस सारे क्षेत्र में प्राचीनतम नगरों में से एक है। यहाँ अत्यधिक पुरातत्व संपदा है। प्राचीनकाल में पद्मावती ग्वालियर क्षेत्र की एक नागकालीन राजधानी थी।

6. सुजवाया- तहसील गिर्द में तिगरा से लगभग 3 कि.मी. दूर दक्षिण-पश्चिम में यह ग्राम है। यह लश्कर उपनगर के पश्चिम में बारहमासी रास्ते द्वारा 16 कि.मी. की दूरी पर है। यहाँ ईस्वी सन्‌ की 11वीं शताब्दी के अनेक मंदिर समूह हैं। सबसे बड़ा समूह मालीपुरा नामक गाँव के उत्तर की ओर पहाड़ी की ढाल पर है, जो इसी सुजवाया का हिस्सा है।

7. डूंडापुरा- तहसील गिर्द में पवा के उत्तर-पूर्व में पगडंडी मार्ग से 5 कि.मी. दूरी पर है। यहाँ पर ग्यारहवीं शताब्दी का जैन मंदिर है, जो प्रायः नष्ट है। यहाँ के स्तम्भों पर वि.सं. 1598 व वि. सं. 1592 पढ़ने में आते हैं। इतिहास की कड़ियाँ खोजने के लिए शोध की आवश्यकता है।

8. मनहरदेव- श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र चैत्र मनहर देव ग्वालियर जिले की तहसील डबरा में स्थित है। पहाड़ी पर एक भव्य शांतिनाथ मंदिर तथा 11 जिन मंदिर जीर्ण-शीर्ण दशा में विराजमान हैं। पर्वत की तलहटी में दो मंदिर हैं। मंदिर में मूलनायक के रूप में पाड़ाशाह द्वारा प्रतिष्ठित भगवान शांतिनाथ की 15 फुट उत्तुंग कोयात्सर्गासन दिगंबर जैन प्रतिमा अब सोनागिर क्षेत्र में पहुँचा दी गई है। उखड़े हुए स्मारक स्तंभों पर तिथि युक्त लेख अंकित हैं। इनमें से एक विक्रम संवत्‌ 1183 का है, जिस पर जैन मुनि और उनके शिष्यों के नाम अंकित हैं।

9. पनिहार- तलवार की धार, ग्वालियर का ग्राम पनिहार। पुरातत्व और वीरता का अनोखा संगम। यह तहसील गिर्द (ग्वालियर) आगरा-बंबई मार्ग पर लश्कर नगर से 25 कि.मी. दूर एक गाँव है। इसमें भोंयरा का मंदिर है, जो पनिहार की चौबीसी नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान में अब 18 मूर्तियाँ रह गई हैं। हाल ही में इस मंदिर के पीछे खेतों में पुरातात्विक महत्व की जैन प्रतिमाएँ उपलब्ध हुई हैं।

10. बरई- उपरोक्त पनिहार ग्राम से लगभग 5 कि.मी. दूर एक छोटा-सा कस्बा है। यहाँ पर टूटे-फूटे जैन मंदिरों के दो समूह हैं। कस्बे के उत्तर में दो मंदिर समूह हैं, जिनमें से एक विशाल जैन मूर्ति है जबकि दूसरे के पास-पास बने तीन मंदिर हैं, जिनमें छोटी-छोटी जिन मूर्तियाँ हैं। एक मूर्ति पर वि.सं. 1529 (ई. सन्‌ 1472) का लेख है, जो कीर्तिसिंह तोमर के समय का है।

सिंध, पारा, लवणा, पार्वती, बेतवा और चम्बल क्षेत्र में भारत के अतीत के इतिहास की अत्यंत बहुमूल्य सामग्री बिखरी पड़ी है। हाल ही में पनिहार के एक टीले की खुदाई में जैन तीर्थंकर की मूर्तियाँ, सर्वतोभद्र की चार मूर्तियाँ एवं कायोत्सर्ग जैन तीर्थंकर आदिनाथ एवं नेमिनाथ की कई मूर्तियाँ 10वीं शताब्दी की प्राप्त हुई हैं। सुहानियाँ के पास चारों ओर टीले अपने अंचल में प्राचीन इतिहास छिपाए हैं।

ग्वालियर के इतिहास को पूर्णतया उपलब्ध कराने के लिए चंबल के किनारों पर स्थित ग्रामों और खेड़ों का विस्तृत अनुशीलन आवश्यक है। साँक, आंसन, क्वारी, बेतवा और सिंध के किनारों पर भी अवशेष प्राप्त होंगे। गोपाचल सिद्ध क्षेत्र के नजदीक पनिहार ग्राम में मौर्य काल से लेकर प्रतिहार काल तक के पुरावशेष बिखरे पड़े हैं।

11. नरवर- वर्तमान नरवर व किला जहाँ पर स्थित है, संभवतः 10वीं शताब्दी से बसा है। जिस नरवर का उल्लेख पुराणों में मिलता है, वह वर्तमान नरवर से उत्तर-पश्चिम में लगभग 4 कि.मी. गहन जंगल में सिंधु नदी के तट पर एक विशाल खंडहरों का समूह है।

यहाँ के भवनों, मंदिरों, कुओं, बावड़ियों इत्यादि से स्पष्ट होता है कि पुराणों में वर्णित निवद की राजधानी नरवर यहीं थी। यहाँ के टीलों के मध्य टूटी मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं, जिनमें जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ जैन धर्म का काफी प्रभाव रहा होगा। (शोध-समहेत जन.-मार्च, अप्रैल-जून 1994- पुरातत्व नरवर- एच.वी. माहेश्वरी)

पद्मावती और शिवपुरी के बीच शिवपुरी से 40 कि.मी. उत्तर-पूर्व नरवर नगर राजा नल का बसाया गया माना जाता है। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार इसे नलपुर कहा गया है। प्राचीनकाल में यहाँ अनेक जैन मंदिरों एवं मूर्तियों का निर्माण हुआ। तेरहवीं, चौदहवीं शताब्दी में यहाँ और इसके आसपास जैन धर्म का प्रसार हुआ है। नरवर किले में अतिशय क्षेत्र है। यहाँ भगवान नेमिनाथ की प्राचीन मूर्ति है।

12. चंदेरी- गुना जिले में चंदेरी और यूवौन जी जैन कला के महत्वपूर्ण केंद्र हैं। चंदेरी में अनेक प्राचीन एवं विशाल जैन मंदिर स्थित हैं। चंदेरी और उसके आसपास बड़ी संख्या में जैन मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। यहाँ की चौबीसी भारत में प्रसिद्ध है। बजरंग पाड़ाशाह के समय का प्राचीन अतिशय क्षेत्र है।

13. जिला भिंड- इस जिले में तीन अतिशय क्षेत्र- बरोही, बरासो और पावई हैं। यहाँ पर प्राचीन मंदिर एवं मूर्तियाँ हैं। 11वीं, 12वीं शताब्दी की प्रतिमाएँ हैं।
Show comments

Buddha purnima 2024: भगवान बुद्ध के 5 चमत्कार जानकर आप चौंक जाएंगे

Buddha purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा शुभकामना संदेश

Navpancham Yog: सूर्य और केतु ने बनाया बेहतरीन राजयोग, इन राशियों की किस्मत के सितारे बुलंदी पर रहेंगे

Chankya niti : करोड़पति बना देगा इन 4 चीजों का त्याग, जीवन भर सफलता चूमेगी कदम

Lakshmi prapti ke upay: माता लक्ष्मी को करना है प्रसन्न तो घर को इस तरह सजाकर रखें

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए खुशियों भरा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 23 मई का राशिफल

भगवान श्री बदरीनाथजी की आरती | Shri badrinath ji ki aarti

श्री बदरीनाथ अष्टकम स्तोत्र सर्वकार्य सिद्धि हेतु पढ़ें | Shri Badrinath Ashtakam

23 मई 2024 : आपका जन्मदिन

श्री बदरीनाथ की स्तुति | Badrinath ki stuti