दसलक्षण पर्व के दस धर्म

आत्मकल्याण करेगा महापर्व पर्युषण

Webdunia
ND

मानव जीवन का परम उद्देश्य अपनी आत्मा को उस परम शिखर पर विराजमान करना है, जहां प्रभु व अपनी आत्मा की समस्त दूरियां मिट जाएं तथा परमात्मा के पुनीत चरणों में अपनी आत्मा भी समर्पित होकर परमपद मोक्ष की प्राप्ति कर सकें।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आने वाले ये 'पर्वाधिराज पर्युषण पर्व' जैन धर्म के दिगंबर अम्नाय में 'आत्मप्रक्षालन' तथा 'पाप विमोचन' का परम अवसर है। ये दस दिन जैन धर्म के दस लक्षणों को दर्शाते हैं, जिनको अपने जीवन में अवतरित कर मानव मुक्ति पथ का पावन मार्ग प्रशक्त कर सकता है। इसीलिए इस पर्व को 'दसलाक्षिणी' पर्व भी कहा गया है।

दसलक्षण पर्व के दस धर्म निम्नानुसार हैं :-

उत्तम क्षमा : 'उत्तम क्षमा जहां मन होई, अंतर बाहर शत्रु न कोई।'
- अर्थात्‌ उत्तम क्षमा को धारण करने से जीवन की समस्त कुटिलताएं समाप्त हो जाती हैं तथा मानव का समस्त प्राणी जगत से एक अनन्य मैत्रीभाव जागृत हो जाता है।

उत्तम मार्दव : 'उत्तम मार्दव विनय प्रकाशे, नाना भेद ज्ञान सब भासै।'
- अर्थात्‌ उत्तम मार्दव धर्म अपनाने से मान व अहंकार का मर्दन हो जाता है और व्यक्ति सच्ची विनयशीलता को प्राप्त करता है।

उत्तम आर्जव : 'उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागि सुगति उपजावें।'
- अर्थात्‌ उत्तम आर्जव धर्म अपनाने से मन एकदम निष्कपट तथा राग-द्वेष से रहित हो जाता है। सरल हृदय व्यक्तियों के घर में लक्ष्मी का भी स्थायी वास रहता है।

ND
उत्तम सत्य : 'उत्तम सत्य वचन मुख बोले, सो प्राणी संसार न डोले।'
- अर्थात्‌ जिसकी वाणी व जीवन में सत्य धर्म अवतरित हो जाता है, उसकी संसार सागर से मुक्ति एकदम निश्चित है।

उत्तम शौच : 'उत्तम शौच लोभ परिहारी, संतोषी गुण रतन भंडारी।'
- अर्थात्‌ जिस व्यक्ति ने अपने मन को निर्लोभी बना लिया है, संतोष धारण कर लिया है, उसका जीवन परम शांति को उपलब्ध हो जाता है।

उत्तम संयम : 'उत्तम संयम पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता।'
- अर्थात्‌ जिस मनुष्य ने अपने जीवन में संयम धारण कर लिया है, उसका मनुष्य जीवन सार्थक है तथा सफल है। बगैर संयम के मुक्तिवधू कोसों दूर है एवं 'आकाशकुसुम' के समान है।

उत्तम तप : 'उत्तम तप निरवांछित पाले, सो नर कर्मशत्रु को टाले।'
- अर्थात्‌ शास्त्रों में वर्णित बारह प्रकार के तप से जो मानव अपने तन मन जीवन को परिमार्जिन या शुद्ध करता है, उसके समस्त जन्मों जन्मों के कर्म नष्ट हो जाते हैं।

उत्तम त्यागः 'उत्तम त्याग करे जो कोई भोगभूमि सुर शिवसुख होई।'
- अर्थात्‌ उत्तम त्याग करने वाले व्यक्ति को मुक्ति सुंदरी स्वयंमेव वरण करती है तथा देवता भी उसे नमस्कार करते हैं।

उत्तम अंकिचन : 'उत्तम अंकिचन वृत धारे, परम समाधि दशा विस्तारे।'
- अर्थात्‌ जिस व्यक्ति ने अंतर बाहर 24 प्रकार के परिग्रहों का त्याग कर दिया है, वो ही परम समाधि अर्थात्‌ मोक्ष सुख पाने का हकदार है।

उत्तम ब्रह्मचर्यः 'उत्तम ब्रह्मचर्य मन लावे, नरसुर सहित मुक्ति फल पावें'।
- अर्थात् उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के पालने वाले को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति अवश्य ही होती है।

पर्युषण पर्व के महान अवसर पर जो मनुष्य उपरोक्त दस धर्मों को अपना कर, उनका पालन करके अपने जीवन का उद्धार करता है तथा अपने आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करके अजर अमर पद निर्वाण की प्राप्ति कर सकता है। ये पर्युषण पर्व इन्हीं दस धर्मों को जीवन में अंगीकार करने का परम पुनीत अवसर है।

- पवन डीसी बड़जात्या

Show comments

किचन की ये 10 गलतियां आपको कर्ज में डुबो देगी

धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के 12 पावरफुल नाम

रात में नहीं आती है नींद तो इसके हैं 3 वास्तु और 3 ज्योतिष कारण और उपाय

मोहिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त

32 प्रकार के द्वार, हर दरवाजा देता है अलग प्रभाव, जानें आपके घर का द्वार क्या कहता है

Char Dham Yatra : छोटा चार धाम की यात्रा से होती है 1 धाम की यात्रा पूर्ण, जानें बड़ा 4 धाम क्या है?

देवी मातंगी की स्तुति आरती

Matangi Jayanti 2024 : देवी मातंगी जयंती पर जानिए 10 खास बातें और कथा

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास

Panch Kedar Yatra: ये हैं दुनिया के पाँच सबसे ऊँचे शिव मंदिर