बुद्धिमान वैद्य

Webdunia
पुराने जमाने की बात है एक सेठ था। सेठ जिद्दी और बदपरहेज था। जवानी में ही खाँसी ने उसे परेशान कर रखा था। घरेलू इलाज से खाँसी ठीक नहीं हुई। होती भी कैसे? खाँसी के लिए दही अच्‍छा नहीं होता लेकिन सेठ जी दही के बिना भोजन ही नहीं करते थे। इससे खाँसी बढ़ती ही जाती थी। सेठ बहुत धनवान था। इसलिए शहर के अच्छे-अच्‍छे डॉक्टर, वैद्य, हकीम सबको दिखाया गया किंतु सेठ की खाँसी ठीक नहीं हुई। ठीक न होने का कारण था 'दही'। सेठ जी को बहुत लोगों ने समझाया लेकिन सेठ जी के समझ में बात नहीं आई।

एक बहुत बुद्धिमान वैद्य थे, वे सेठ जी का इलाज करने के लिए तैयार हो गए। सेठ बोला - 'वैद्य जी! एक बात मेरी सुन लो, मैं दही खाना नहीं छोड़ूँगा वैद्य ने कहा - 'कौन कहता है आपसे दही छोड़ने को। आप एक समय दही खाते हैं तो दोनों समय दही खाना शुरू कर दीजिए। यदि दो समय दही खाते हों तो चार समय खाना शुरू कर दीजिए।'

सेठ खुश हुआ कि यह वैद्य तो बहुत अच्छा है। वैद्य ने सेठ को बताया कि दही खाने के तीन लाभ हैं सेठ ने बड़ी उत्सुकता से पूछा - 'वे कौन से लाभ हैं? वैद्य जी बोले सर्वप्रथम तो घर में चोरी नहीं होती, दूसरा कुत्ता भी नहीं काटता, तीसरा उसको बुढ़ापा कभी नहीं आता।' सेठ ने सुना, वैद्य जी की बातों पर गौर भी किया, किंतु उसको इस बात का सिर पैर नहीं मिला। आखिर हारकर सेठ जी ने वैद्य जी से पूछा - 'वैद्य जी बात मेरी समझ में नहीं आई। वैद्य ने कहा - 'देखो सेठ जी! दही खाते रहने से खाँसी ठीक नहीं होती। खाँसी होने से दिन-रात आदमी खाँसता ही रहता है। यदि वह खाँसता ही रहता है, तो चोर चोरी कैसे कर सकता है। सेठ ने कहा - 'यह बात तो आपकी ठीक है।' अब दूसरी बात भी समझाइए।'

दूसरी बात भी सीधी-सादी है। वैद्य जी बोले - 'आप अपने को ही देख लीजिए। जब से आपको खाँसी हुई है तब से आप बहुत कमजोर हो गए हैं और उसका फल यह है कि आपके हाथ में लाठी हमेशा रहती है। जहाँ जाते हो लाठी के साथ ही जाते हो। कुत्ता लाठी देखकर आपके पास फटकेगा भी नहीं, काटने की बात तो दूर की है।' दूसरी बात सुनकर सेठ जी चुप हो गए। सेठ जी को फिक्र होने लगी फिर भी बोले - 'तीसरी बात क्या है।'

तीसरी बात तो सेठ जी ऐसी है है अब तुम ही जानों कमजोर आदमी कितने दिन जी सकता है। खाँसी में दही खाने वाला मरीज तो जवानी भी पूरी नहीं काट सकता इसलिए बुढ़ापा उसके पास फटकेगा कैसे?' वैद्य जी बात समाप्त करके चुप हो गए।

उस दिन के बाद सेठ जी ने दही नहीं खाया। दही में उनको अपनी मौत दिखाई देती थी। सेठ जी ने मौत के डर से दही छोड़ा तो खाँसी ने भी उनका साथ छोड ़ दिया ।


Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.