बीमा क्षेत्र में एफडीआई की बढ़ोत्तरी का अर्थ

Webdunia
- वेबदुनिया डेस्क
निजी बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा मौजूदा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने के लिए व्यापक बीमा विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।

पिछले महीने विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने एफडीआई की सीमा 49 फीसदी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रस्तावित बदलावों में इरडा अधिनियम-1999 और एलआईसी अधिनियम-1956 समेत कई अन्य कानूनों में संशोधन किया जाएगा।

साल 2000 में बीमा क्षेत्र को खोलने के बाद देश में करीब तीन दर्जन निजी कंपनियों ने अपना परिचालन शुरू किया। उनमें से कई को 26 फीसदी की एफडीआई सीमा की बाध्यता का सामना करना पड़ा और वे विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने की माँग करती आई हैं।

बीमा कारोबार के बाजार में 65 फीसदी हिस्सेदारी वाली कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में चार सरकारी कंपनियाँ न्यू इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस हैं।

पर बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने के सरकार के प्रस्ताव का इस सेगमेंट के सभी सेक्टर को फायदा नहीं मिलेगा। बीमा पर गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने निर्णय लिया है कि को-ऑपरेटिव बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा वर्तमान 26 फीसदी पर ही बरकरार रखी जाएगी।

इसका मतलब यह है कि जब सरकार बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 49 फीसदी करेगी तो इसमें को-ऑपरेटिव सोसायटियों को शामिल नहीं किया जाएगा। सरकार के इस कदम का उद्देश्य यह हो सकता है कि सोसायटियों में कंपनियों की दखल न हो सके, जिससे उनका बुनियादी चरित्र सुरक्षित रहे।

इस निर्णय से इफको-टोक्यो जैसी कंपनियों पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा, जिनको विस्तार के लिए फंड की जरूरत है। यह सीमा सहकारी समूहों द्वारा किए जाने वाले निवेश पर भी लागू होगी।

पिछले प्रस्तावों में सिर्फ जीवन बीमा कंपनियों को ही अलग-अलग जरिए से पूँजी जुटाने की इजाजत मिलने वाली थी। पर अब इन प्रस्तावों के दायरे में साधारण, स्वास्थ्य और रीइंश्योरेंस सभी कंपनियाँ आएँगी। नए परिवर्तनों को प्रभावी बनाने के लिए बीमा अधिनियम के खंड 6 (ए) और 6 (बी) में संशोधन किया जाएगा।

सरकार अगर बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ऊपरी सीमा बढ़ाने में कामयाब रहती है तो इससे अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा। अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज का भी ऐसा ही विचार है।

पर सरकार के इस कदम के विरोध में यह तर्क भी दिया जा सकता है कि जीवन बीमा और सामान्य बीमा क्षेत्र में पहले से बड़ी संख्या में निजी कंपनियाँ काम कर रही हैं, यदि निवेश का आकार कोई बाधक तत्व होता तो वे नहीं आतीं। इसलिए यह उम्मीद करना सही नहीं है कि एफडीआई की सीमा बढ़ा देने के बाद बहुत-सी नई कंपनियाँ संयुक्त उद्यम के लिए दौड़ी हुई आएँगी। यह जरूर हो सकता है कि पहले से जो कंपनियाँ यहाँ हैं, वह अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास करेंगी, जिससे एफडीआई ज्यादा आएगी।

हालाँकि अमेरिकी वित्तीय कंपनियाँ लेहमैन और एआईजी की दुर्गति के बाद अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों में छाई आर्थिक मंदी के चलते आर्थिक विशेषज्ञ यह आशंका भी जता रहे हैं कि यदि इंश्योरेंस और वित्तीय क्षेत्रों में निवेश की सीमा बढ़ाई जाती है तो अमेरिका जैसी मंदी का सामना भारत को भी करना पड़ सकता है।

जानकारों का तर्क है कि 26 फीसदी एफडीआई के कारण पूँजी का ज्यादातर हिस्सा भारत के पास ही था, अत: आर्थिक मंदी का आंशिक असर ही भारत को झेलना पड़ा है, यदि यह सीमा बढ़कर 49 फीसदी हो जाती है तो भविष्य में इस तरह के किसी भी संकट से उबरना भारत के लिए काफी मुश्किल होगा। ऐसा अनुमान है कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार एफडीआई विधेयक ला सकती है। 2004-05 में वामपंथी पार्टियों के दबाव में इसे नहीं लाया जा सका था।

सरकार आर्थिक सुधार प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है। बीमा क्षेत्र को इसका बड़ा लाभ भी होगा। बीमा में एफडीआई बढ़ने से भारतीय कंपनियाँ संयुक्त उद्योग की अपनी सहयोगी विदेशी कंपनियों के साथ मजबूत और लंबी अवधि के संबंध बना सकेंगी। वर्तमान में बीमा क्षेत्र में 26 फीसदी एफडीआई की इजाजत है।

उचित नियमन ढाँचे के अस्तित्व में आने के बाद बीमा क्षेत्र में मजबूती आएगी। यह क्षेत्र अपेक्षाकृत नया है, वर्तमान में इस क्षेत्र में 18 कंपनियाँ हैं, जिनमें से कुछ छोटी हैं। सुधार के बाद बीमा क्षेत्र में कंपनियों की संख्या घटेगी और सिर्फ मजबूत कंपनियाँ मैदान में रह जाएँगी जिनकी वित्तीय स्थिति बहुत अधिक अच्छी हो अन्यथा अमेरिकी बीमा कंपनियों जैसी हालत भारतीय कंपनियों की भी हो सकती है।

Show comments

UP : आगरा में जूता कारोबारियों के ठिकानों पर इनकम टैक्स की छापेमारी, 30 करोड़ बरामद

Swati Maliwal Case : स्वाति मालीवाल बोली- एक गुंडे के दबाव में झुकी AAP, अब मेरे चरित्र पर सवाल उठा रही है

छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्‍या, फांसी पर लटका मिला एक अन्‍य शव

कोर्ट ने क्यों खारिज की विभव कुमार की जमानत याचिका, बताया कारण

अमेठी में इस बार आसान नहीं है केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की राह

UP : आगरा में जूता कारोबारियों के ठिकानों पर इनकम टैक्स की छापेमारी, 30 करोड़ बरामद

Swati Maliwal Case : स्वाति मालीवाल बोली- एक गुंडे के दबाव में झुकी AAP, अब मेरे चरित्र पर सवाल उठा रही है

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्‍या, फांसी पर लटका मिला एक अन्‍य शव

Lok Sabha Elections 2024 : दिल्ली की जनसभा में क्यों भावुक हो गए PM मोदी, देश की 140 करोड़ जनता को बताया अपना वारिस